फिल्ममेकर विक्रम भट्ट और पत्नी श्वेतांबरी 7 दिन की पुलिस रिमांड में, 30 करोड़ के बायोपिक स्कैम का पूरा सच अब होगा उजागर!

बॉलीवुड जगत से जुड़े एक बड़े आर्थिक घोटाले ने मंगलवार को उदयपुर न्यायालय में अहम मोड़ ले लिया। चर्चित बायोपिक फंडिंग स्कैम में आरोपी निर्माता-निर्देशक विक्रम भट्ट और उनकी पत्नी श्वेतांबरी भट्ट को पुलिस ने अदालत में पेश किया, जहां न्यायाधीश ने दोनों को 7 दिनों की पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश दिया।

30 करोड़ की वित्तीय अनियमितता का आरोप

मामला लगभग ₹30 करोड़ की कथित वित्तीय हेराफेरी से जुड़ा है। पुलिस अब रिमांड अवधि के दौरान कथित तौर पर उपयोग किए गए फर्जी वेंडर बिल, नकली कागज़ात और करोड़ों रुपये के लेन-देन की पेमेंट चेन की गहराई से जांच करेगी। जानकारी के अनुसार, लुकआउट नोटिस जारी होने के बाद उदयपुर पुलिस टीम ने मुंबई से दंपति को गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर उदयपुर लाया था।

बायोपिक के नाम पर हुआ कथित छल

पूरा केस इंदिरा ग्रुप ऑफ कंपनीज़ के फाउंडर और उदयपुर निवासी डॉ. अजय मुर्डिया की शिकायत पर आधारित है। दर्ज एफआईआर में दावा किया गया है कि विक्रम भट्ट और श्वेतांबरी ने डॉ. मुर्डिया की दिवंगत पत्नी पर एक बायोपिक बनाने के नाम पर उन्हें बड़े मुनाफे का लालच दिया। आरोप है कि दंपति ने फिल्म से लगभग ₹200 करोड़ तक की कमाई का दावा करते हुए उन्हें निवेश करने के लिए राज़ी किया।

शुरुआती भुगतान होने के बाद न तो फिल्म आगे बढ़ी और न ही रकम वापस की गई। जांच में सामने आया कि कुल मिलाकर लगभग ₹30 करोड़ की राशि का गलत उपयोग किया गया। एफआईआर में दंपति सहित कुल 8 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

मुंबई से रातों-रात उदयपुर लाई गई टीम

जांच अधिकारी डीएसपी छगन पुरोहित ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सोमवार रात ही पूरी कानूनी प्रक्रिया के साथ दंपति को मुंबई से उदयपुर लाया। यहां उन्हें चित्रकूट नगर स्थित महिला थाना परिसर में रखा गया था।

फर्जी दस्तावेज़ों का जाल


पुलिस की विशेष टीम के अनुसार, प्रारंभिक जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि रकम निकालने के लिए फर्जी बिल, वाउचर और कागज़ात तैयार किए गए थे। इससे पहले इसी मामले में सह-निर्माता महबूब अंसारी और वेंडर संदीप विश्वनाथ/त्रिभुवन को 18 नवंबर को गिरफ्तार किया जा चुका है।

अब पुलिस रिमांड के दौरान यह जानने की कोशिश करेगी कि इस वित्तीय जाल का असली मास्टरमाइंड कौन था और इसमें कौन-कौन बड़े नाम शामिल हो सकते हैं।

विक्रम भट्ट का पक्ष—खुद को बताया निर्दोष

विक्रम भट्ट की कानूनी टीम ने अदालत में रिमांड का कड़ा विरोध किया और कहा कि गिरफ्तारी प्रक्रियागत खामियों के साथ की गई है। वकीलों के अनुसार, कई दस्तावेजों पर बिना तारीख और समय के हस्ताक्षर करवाए गए थे, जो नियमों के विरुद्ध है।

दूसरी ओर, विक्रम भट्ट पहले ही मीडिया में यह कह चुके हैं कि एफआईआर भ्रामक है और दर्ज शिकायत में कई दस्तावेज संदिग्ध हो सकते हैं। उन्होंने स्वयं को पूरी तरह निर्दोष बताते हुए पुलिस को सहयोग करने का भरोसा दिया था।

फिर भी, मामले की गंभीर प्रकृति और अब तक सामने आए सबूतों को देखते हुए अदालत ने पुलिस की दलीलें स्वीकार करते हुए 7 दिन की रिमांड मंजूर कर दी।