राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत एसीबी ने बुधवार को दो बड़ी कार्रवाइयों को अंजाम दिया। जयपुर जिला कारागार में एक जेल प्रहरी को बंदी के परिजन से रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया, जबकि भीलवाड़ा के जहाजपुर में सरपंच और ईमित्र संचालक को मिलकर एक सफाई ठेकेदार से रिश्वत लेते पकड़ा गया। ये दोनों मामले भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचने और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की दिशा में अहम माने जा रहे हैं।
जयपुर में जेल प्रहरी 26 हजार की रिश्वत लेते दबोचा गयाभ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जयपुर नगर तृतीय चौकी ने जिला कारागार में पदस्थ जेल प्रहरी जगवीर सिंह को 26 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। आरोपी ने यह राशि एक बंदी को जेल में परेशान नहीं करने के एवज में उसके भाई से मांगी थी। शिकायतकर्ता ने एसीबी को बताया था कि उसका भाई फिरौती के एक केस में आठ दिनों से जेल में बंद है और वहां उसे प्रताड़ित किया जा रहा है। प्रहरी जगवीर सिंह 70 हजार की रिश्वत की मांग कर रहा था।
सत्यापन के बाद डीआईजी राहुल कोटोकी, एएसपी ज्ञानप्रकाश नवल और सीआई नाथूलाल बंशीवाल की टीम ने ट्रैप कार्रवाई करते हुए आरोपी को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
भीलवाड़ा में सरपंच और ईमित्र संचालक ने मिलकर ली 24 हजार की रिश्वतभीलवाड़ा जिले के जहाजपुर उपखंड के इटुंदा ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया। यहां की सरपंच अनुसिंह मीणा और ईमित्र संचालक परमेश्वर मीणा को एक सफाई ठेकेदार से 24 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। शिकायतकर्ता ठेकेदार ने बताया कि पंचायत में सफाई कार्य का बिल पास करवाने के लिए सरपंच रिश्वत मांग रही थी।
एसीबी डिप्टी एसपी पारसमल के अनुसार, शिकायत की पुष्टि के बाद ट्रैप की योजना बनाई गई और बुधवार को इटुंदा ग्राम पंचायत के पास दोनों आरोपियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया गया। इन दोनों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।
एसीबी की सख्ती से हड़कंप, पारदर्शिता की ओर बढ़ता प्रशासन
राज्य में एसीबी की बढ़ती सख्ती और लगातार हो रही गिरफ्तारियों से यह स्पष्ट हो रहा है कि भ्रष्ट अधिकारियों के लिए अब बचाव का रास्ता सीमित होता जा रहा है। जयपुर और भीलवाड़ा की ये कार्रवाइयां न केवल भ्रष्टाचार की रोकथाम में मील का पत्थर साबित होंगी, बल्कि जनता में भी विश्वास पैदा करेंगी कि सरकारी तंत्र अब जवाबदेह बन रहा है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ एसीबी की ये दो ताज़ा कार्रवाइयां इस बात का संकेत हैं कि राजस्थान सरकार अब शिथिलता नहीं, बल्कि कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई की नीति पर चल रही है। चाहे जेल प्रहरी हो या ग्राम पंचायत प्रतिनिधि — रिश्वतखोरी की कोई भी घटना अब छुप नहीं पाएगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसी कार्रवाइयों से सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी का स्तर और बढ़ेगा।