बेंगलुरु भगदड़ की दर्दनाक त्रासदी: कैसे जश्न बना जानलेवा, 5 बिंदुओं में समझिए पूरी कहानी

आरसीबी की ऐतिहासिक जीत का जश्न बेंगलुरु में मातम में बदल गया। चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हादसा किसी प्राकृतिक आपदा का नतीजा नहीं था, बल्कि लापरवाही, गलत संचार और भीड़ प्रबंधन की विफलता की दुखद परिणति थी।

आरसीबी का भ्रामक सोशल मीडिया ऐलान

बुधवार दोपहर 3:14 बजे आरसीबी के एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल से घोषणा की गई कि शाम 5 बजे विजय जुलूस निकाला जाएगा और फिर स्टेडियम में सेलिब्रेशन होगा। जबकि पुलिस पहले ही सुबह 11:56 बजे स्पष्ट कर चुकी थी कि सुरक्षा कारणों से कोई जुलूस नहीं होगा। इस विरोधाभासी संदेश से लाखों की भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे हालात बेकाबू हो गए।

फ्री पास की घोषणा और अव्यवस्थित प्रवेश

आरसीबी ने उसी पोस्ट में सीमित फ्री पास ऑनलाइन देने की बात कही थी। पहले तो पास जारी किए गए लेकिन बाद में बिना किसी व्यवस्था के सभी के लिए प्रवेश खोल दिया गया। इससे भीड़ ने स्टेडियम गेट्स पर धक्का-मुक्की शुरू कर दी। न गेट पर्याप्त थे, न सुरक्षा का इंतज़ाम।

पुलिस की सलाह नजरअंदाज, राजनीति हावी


बेंगलुरु पुलिस ने राज्य सरकार को रविवार को आयोजन करने की सलाह दी थी ताकि सुरक्षा की पर्याप्त तैयारी हो सके। लेकिन सरकार ने 24 घंटे के अंदर आयोजन करवा दिया। थके हुए पुलिसकर्मी और अपर्याप्त तैनाती ने स्थिति को और खराब कर दिया। राज्य के नेताओं पर जश्न का राजनीतिक फायदा उठाने का आरोप लगा।

स्टेडियम क्षमता से कई गुना भीड़

चिन्नास्वामी स्टेडियम की क्षमता महज़ 35,000 है, लेकिन 2-3 लाख लोग वहां पहुंच गए। यहां तक कि विधान सौधा के आसपास ही 1 लाख लोग इकट्ठा हो गए थे। यह बताता है कि आयोजन बिना किसी ठोस योजना के किया गया।

गेट्स पर अफरा-तफरी और घातक चूक

स्टेडियम के गेट नंबर 3, 12 और 18 पर सबसे ज्यादा भीड़ थी। एक अस्थायी स्लैब गिरने और संकरी जगहों पर दबाव बढ़ने से घबराहट फैल गई। इससे दम घुटने और भगदड़ में 13 वर्षीय दिव्यांशी समेत कई लोगों की जान चली गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 600-700 महिलाओं ने एक साथ गेट तोड़ने की कोशिश की थी, जिससे स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई।

बेंगलुरु की यह भगदड़ एक दुखद उदाहरण है कि जब सरकारी लापरवाही, सोशल मीडिया की गैरजिम्मेदारी और भीड़ नियंत्रण की असफलता एक साथ मिल जाएं, तो जश्न भी जानलेवा साबित हो सकता है। अब मजिस्ट्रेट जांच की घोषणा हुई है, लेकिन सवाल यह है कि क्या भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए वास्तव में कोई सबक लिया जाएगा?