स्मार्ट वॉच और स्पीकर होंगे महंगे! चीन के प्रतिबंध से रेयर अर्थ की भारी किल्लत, प्रोडक्शन पर संकट

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर को जल्द ही बड़ा झटका लग सकता है। इसकी वजह है चीन द्वारा रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर लगाया गया बैन। स्मार्ट वॉच, स्पीकर, टीवी जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग ठप पड़ने की कगार पर है। कंपनियां अब प्रोडक्शन जारी रखने के लिए विदेशी तैयार माल मंगाने पर विचार कर रही हैं, जिससे कीमतें बढ़ने की पूरी आशंका है। इससे न केवल उपभोक्ताओं की जेब पर असर पड़ेगा, बल्कि 'मेक इन इंडिया' जैसे अभियानों को भी झटका लग सकता है।

रेयर अर्थ की किल्लत का असर


चीन ने टेरेबियम और डायस्प्रोसियम जैसे सात रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये दोनों एलिमेंट्स शक्तिशाली मैग्नेट बनाने में जरूरी होते हैं, जो लगभग हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का अनिवार्य हिस्सा हैं। भारत इन मैटेरियल्स के लिए लगभग पूरी तरह चीन पर निर्भर है। अब इनकी कमी के चलते भारत में स्मार्ट वॉच, ब्लूटूथ स्पीकर, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान का उत्पादन धीमा हो गया है। कुछ कंपनियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द आपूर्ति बहाल नहीं हुई, तो उन्हें प्रोडक्शन पूरी तरह रोकना पड़ सकता है।

मेक इन इंडिया को झटका


नोएडा, पुणे और चेन्नई जैसे इंडस्ट्रियल हब में मौजूद मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स अब रेयर अर्थ मैग्नेट की अनुपलब्धता से जूझ रही हैं। इससे भारत की मेक इन इंडिया नीति को तगड़ा झटका लगने की आशंका है। कई कंपनियां अब तैयार उत्पाद विदेशों से आयात करने पर विचार कर रही हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यदि ऐसा हुआ तो घरेलू मैन्युफैक्चरिंग घटेगी और बाजार में महंगे उत्पाद ही उपलब्ध होंगे।

स्पीकर प्रोडक्शन पर सीधा असर

ब्लूटूथ स्पीकर जैसे प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग पर सबसे अधिक असर देखने को मिल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, एक स्पीकर की कुल लागत में लगभग 50% खर्च मैग्नेट पर आता है। वर्तमान हालात यह हैं कि भारत में मौजूद कई मैन्युफैक्चरर्स के पास अब एक महीने से भी कम का स्टॉक बचा है। साथ ही, मैग्नेट की कीमतों में 15% तक की तेजी आ चुकी है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ गई है।

विकल्पों की तलाश में कंपनियां, लेकिन समाधान नहीं


कई कंपनियां अब चीन के विकल्प के तौर पर अन्य देशों से आयात करने या विकल्प खोजने में जुटी हैं, लेकिन अब तक कोई प्रभावी समाधान नहीं मिल पाया है। चीन के प्रतिबंध के बाद वहां से निर्यात करने वाली कंपनियों को 60 दिनों तक की मंजूरी प्रक्रिया का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके बाद भी निर्यात संभव होगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है।

ऑटोमोबाइल सेक्टर भी परेशान

रेयर अर्थ एलिमेंट्स की कमी का प्रभाव सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स तक सीमित नहीं है। ऑटो सेक्टर भी इससे बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। जापान में मारुति सुजुकी की स्विफ्ट कार का प्रोडक्शन तक रोकना पड़ा है। भारत में भी कई कंपनियों की उत्पादन गति धीमी हो गई है।

अगर चीन द्वारा लगाया गया प्रतिबंध जल्द नहीं हटता तो भारतीय उपभोक्ताओं को स्मार्ट वॉच, स्पीकर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। वहीं, घरेलू निर्माण इकाइयों को उत्पादन रोकना पड़ सकता है। यह संकट भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए एक चेतावनी है कि उसे आवश्यक कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भरता कम करनी होगी और वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की खोज करनी होगी।