
दिल्ली के कालकाजी इलाके में स्थित भूमिहीन कैंप की झुग्गी बस्ती में बुधवार सुबह-सुबह प्रशासनिक बुलडोजर एक्शन का आरंभ हो गया, क्योंकि वहां अतिक्रमण हटाने की समयसीमा समाप्त हो चुकी थी। हाई कोर्ट से स्पष्ट मंजूरी मिलने के बाद डीडीए की कार्रवाई तेज़ हो गई है। इस दौरान लगभग 1200 अवैध झुग्गियों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
विरोध की आशंका को भांपते हुए स्थानीय प्रशासन ने भारी सुरक्षा बल तैनात किए हैं। दिल्ली पुलिस के जवानों के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों को भी सतर्कता के साथ मौके पर तैनात किया गया है। डीडीए की ओर से इस इलाके में तीन दिन पहले झुग्गियों को खाली करने का नोटिस चस्पा किया गया था, जिसमें 10 जून तक का समय दिया गया था।
कालकाजी के भूमिहीन कैंप में बड़ी संख्या में झुग्गियां डीडीए की जमीन पर बनी हुई थीं, जिन्हें हाई कोर्ट द्वारा अवैध घोषित किया गया था। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर डीडीए ने कार्रवाई की अनुमति ली और समयसीमा समाप्त होने के साथ ही बुधवार सुबह करीब 5 बजे करीब आधा दर्जन बुलडोजर लेकर कार्रवाई शुरू कर दी गई।
कार्रवाई के दौरान अधिकतर लोग पहले ही झुग्गियों से अपना सामान निकाल चुके थे, लेकिन कुछ लोग कार्रवाई शुरू होने के बाद भी जल्दबाज़ी में अपना सामान समेटते देखे गए।
इस बुलडोजर ऐक्शन को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। एक दिन पहले ही आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने डीडीए की इस कार्रवाई के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान पूर्व मंत्री आतिशी मार्लेना को हिरासत में भी लिया गया था।
कार्रवाई के शुरू होते ही आतिशी ने ट्विटर पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को आड़े हाथों लिया और पुराने बयान की याद दिलाई। उन्होंने लिखा,
सुबह-सुबह 5 बजे से भूमिहीन कैम्प में भाजपा का बुलडोज़र चलना शुरू हो गया। रेखा गुप्ता जी, आपने तो 3 दिन पहले कहा था कि एक भी झुग्गी को तोड़ा नहीं जाएगा। तो फिर भूमिहीन कैम्प पर बुलडोज़र क्यों चल रहा है?
यह मामला अब प्रशासनिक निर्णयों और राजनीतिक वादों के बीच गहराती खाई की तस्वीर बनकर उभर रहा है, जहां न्यायिक आदेश, मानवीय संवेदनाएं और राजनीतिक बयानबाज़ी तीनों की टकराहट देखी जा रही है।