
बिहार की राजनीति में चुनावी सरगर्मी तेज होने लगी है और इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के करोड़ों जरूरतमंदों को बड़ी राहत दी है। उन्होंने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत मिलने वाली राशि को ₹400 से बढ़ाकर सीधे ₹1100 प्रति माह कर दिया है। यह ऐलान राज्य विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले किया गया है, जिससे इसे एक चुनावी तोहफा भी माना जा रहा है।
जुलाई से लागू होगी नई पेंशनमुख्यमंत्री ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' के जरिए इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पेंशन की यह बढ़ी हुई राशि जुलाई 2025 से लागू होगी और हर महीने की 10 तारीख को लाभार्थियों के खाते में सीधे जमा की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने लिखा—“मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के अंतर्गत अब विधवा महिलाएं, बुजुर्ग और दिव्यांगजनों को ₹400 के बजाय ₹1100 प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी। यह बढ़ी हुई राशि जुलाई से मिलेगी और 10 तारीख को खाते में भेजी जाएगी। इससे राज्य के 1 करोड़ 9 लाख 69 हजार 255 लाभार्थियों को लाभ मिलेगा।”
किसे मिलेगा फायदा?इस योजना का लाभ बुजुर्ग नागरिकों, दिव्यांगजनों, विधवा महिलाओं और अन्य सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों को मिलेगा। यह योजना बिहार सरकार की सामाजिक कल्याण योजनाओं के अंतर्गत चल रही है, जिसे अब और प्रभावी बनाया गया है।
डिप्टी सीएम का समर्थनबिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इस घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा—“आज का दिन ऐतिहासिक है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधवाओं, बुजुर्गों और विशेष योग्यजनों के लिए पेंशन राशि बढ़ाकर जनकल्याणकारी दृष्टिकोण को मजबूत किया है। मैं इसके लिए मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करता हूं।”
चुनावी पृष्ठभूमि में फैसलाबिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इस फैसले को जनता को साधने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। इससे ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के वोटर्स को सीधे फायदा मिलेगा, जो चुनावी समीकरणों में अहम भूमिका निभाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला राज्य सरकार के लोकलुभावन एजेंडे को आगे बढ़ाने की दिशा में एक मजबूत कदम है, खासकर ऐसे समय में जब केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर कल्याणकारी योजनाएं राजनीतिक चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सामाजिक पेंशन में की गई यह तीन गुनी बढ़ोतरी न केवल जरूरतमंदों के लिए आर्थिक संबल साबित होगी, बल्कि आगामी चुनावों में सरकार के लिए जनसमर्थन जुटाने का एक कारगर जरिया भी बन सकती है। अब देखना होगा कि इस योजना के क्रियान्वयन और वितरण की प्रक्रिया कितनी पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ होती है।