यशस्वी जायसवाल से क्यों छूट रहे इतने कैच? मोहम्मद कैफ ने बताया फील्डिंग का वह 'छुपा हुआ सच'

इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स टेस्ट में भारतीय टीम की हार के बाद सबसे ज्यादा सवाल भारतीय फील्डिंग पर उठ रहे हैं, खासकर यशस्वी जायसवाल की कैचिंग को लेकर। उन्होंने न केवल कई अहम कैच छोड़े, बल्कि जिन बल्लेबाजों को जीवनदान दिया, उन्होंने वही पारियां खेलकर भारत से जीत छीन ली। सवाल ये उठता है—यशस्वी जैसे युवा और फिट खिलाड़ी से इतने कैच क्यों छूट रहे हैं?

इस सवाल का जवाब दिया है भारत के सर्वश्रेष्ठ फील्डर्स में से एक मोहम्मद कैफ ने, और वो भी बेहद बारीकी और तकनीकी विश्लेषण के साथ।

पट्टी से बाधित हो रहा हाथ का मूवमेंट, पकड़ कमजोर पड़ रही

मोहम्मद कैफ ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो शेयर करते हुए बताया कि यशस्वी जायसवाल के कैच छोड़ने के पीछे एक तकनीकी कारण हो सकता है—हाथ की उंगलियों पर लगी पट्टियां। इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज के दौरान खिलाड़ियों को ड्यूक बॉल की सख्ती के कारण अक्सर उंगलियों पर चोट लगती है। इसके चलते वे फील्डिंग के दौरान उंगलियों पर पट्टी बांधते हैं।

कैफ के अनुसार, “पट्टी गेंद को पकड़ने में स्पॉन्ज की तरह बाउंस पैदा करती है। जैसे ही गेंद पट्टी से टकराती है, वह हाथ में टिकने की बजाय उछल जाती है। इससे कैच छूटने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। कैचिंग में सबसे जरूरी होता है गेंद और हाथ का नेचुरल कनेक्शन। पट्टी वह कनेक्शन तोड़ देती है।”

जायसवाल के छोड़े कैच और उनका भारत पर असर

लीड्स टेस्ट में यशस्वी जायसवाल ने कुल 4 महत्वपूर्ण कैच छोड़े। उन्होंने ओली पोप का कैच छोड़ा जिन्होंने पहली पारी में शानदार शतक जड़ा। बेन डकेट का कैच दोनों पारियों में छूटा—दूसरी पारी में उन्होंने 149 रनों की पारी खेलकर मैच भारत से छीन लिया। हैरी ब्रूक को जीवनदान मिला और वे भी 99 रन बनाकर आउट हुए।

यह स्पष्ट है कि यशस्वी के छोड़े गए ये कैच सिर्फ व्यक्तिगत चूक नहीं थे, बल्कि मैच की दिशा को बदलने वाले मोड़ थे।

ड्यूक बॉल: कड़ी, खतरनाक और चुनौतीपूर्ण

टेस्ट क्रिकेट में तीन प्रकार की गेंदों का इस्तेमाल होता है—SG (भारत), कूकाबुरा (ऑस्ट्रेलिया सहित कई देश) और ड्यूक (इंग्लैंड, वेस्टइंडीज)। ड्यूक बॉल अपनी ठोस सीम और कठोर बनावट के लिए जानी जाती है। इसकी सिलाई हाथ से होती है और छह पट्टियों में घनी स्टिचिंग होती है, जो गेंद को लंबे समय तक स्विंग करने में मदद करती है, लेकिन यही सीम फील्डर्स के हाथों में लगकर चोट का कारण भी बनती है।

इसी वजह से इंग्लैंड में फील्डिंग करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ड्यूक बॉल से चोट लगने की संभावना अधिक होती है, खासकर जब कैच लेते समय सीम सीधे हाथ से टकरा जाती है। यही कारण है कि खिलाड़ी उंगलियों पर पट्टी बांधते हैं—लेकिन इससे पकड़ कमजोर हो जाती है।

समाधान क्या है? अभ्यास और विकल्पों की जरूरत

कैफ के इस विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि तकनीकी कारणों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। भारतीय टीम को यह समझना होगा कि फील्डिंग महज़ जोश या एथलेटिक क्षमता का नहीं, बल्कि अत्यंत सूक्ष्म तकनीक का खेल भी है। कोचिंग स्टाफ को चाहिए कि वे खिलाड़ियों को ऐसे विकल्प उपलब्ध कराएं जिससे चोट से बचाव भी हो और पकड़ भी बनी रहे—जैसे पतली, हाई-ग्रिप सिलिकॉन टेप्स या फील्डिंग के विशेष दस्ताने।

छोटी चूक, बड़ा नुकसान

यशस्वी जायसवाल की फील्डिंग से जुड़े तकनीकी पहलू ने एक अहम सवाल उठाया है—क्या हम सिर्फ बल्लेबाजी और गेंदबाजी पर ध्यान दे रहे हैं और फील्डिंग को हल्के में ले रहे हैं? टेस्ट क्रिकेट में जीत और हार के बीच का फासला महज़ एक कैच का हो सकता है, जैसा कि लीड्स में हुआ।

अगर टीम इंडिया को सीरीज में वापसी करनी है तो तकनीक और ट्रेनिंग दोनों पर और ज्यादा काम करने की जरूरत है—क्योंकि आज की क्रिकेट में हर रन और हर कैच की कीमत टेस्ट मैच के नतीजे से जुड़ी होती है।