भारत का टोक्यो पैरालंपिक 2020 में धमाकेदार प्रदर्शन जारी है। भारत लगातार तीसरे दिन पदक जीतने में सफल रहा। भारत ने रविवार को दो और सोमवार को पांच पदक पर कब्जा जमाया था। मंगलवार शाम को पैरा एथलीट मरियप्पन थंगावेलु और शरद कुमार ने पुरुष ऊंची कूद में क्रमश: टी42 वर्ग में रजत और कांस्य पदक जीते।
मरियप्पन और शरद के पदक जीतने के साथ ही भारत ने इस पैरालंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 10 पदक अपने नाम कर लिए हैं। भारत पदक तालिका में 30वें स्थान पर पहुंच गया है। मरियप्पन ने 1.86 मीटर के प्रयास के साथ रजत व शरद ने 1.83 की जंप लगा कांस्य पदक अपने नाम किया। अमेरिका के सैम ग्रेव ने अपने तीसरे प्रयास में 1.88 मीटर की कूद के साथ सोने का तमगा जीता। इसी स्पर्धा में हिस्सा ले रहे रियो पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता वरुण सिंह भाटी 7वें स्थान पर रहे।
पीएम नरेंद्र मोदी ने दी दोनों एथलीटों को बधाई
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने दोनों एथलीटों की इस कामयाबी के लिए टि्वटर के माध्यम से
बधाई दी है। मोदी ने लिखा कि मरियप्पन निरंतरता और श्रेष्ठता का पर्याय बन
गए हैं। उन्हें रजत पदक जीतने के लिए ढेरों बधाई। भारत को उनकी कामयाबी पर
फख्र है। आपको बता दें कि टी42 वर्ग में उन खिलाड़ियों को रखा जाता है,
जिनके पैर में समस्या है, पैर की लंबाई में अंतर है, मांसपेशियों की ताकत
और पैर की मूवमेंट में दिक्कत है। इस वर्ग में खिलाड़ी खड़े होकर कंपीट
करते हैं। मंगलवार को ही निशानेबाज सिंहराज अधाना ने पुरुष 10 मीटर
एयरपिस्टल एसएच1 इवेंट में कांस्य पदक जीता। भारत ने टोक्यो पैरालंपिक में
अब तक दो स्वर्ण, पांच रजत और तीन कांस्य जीते हैं।
ये है मरियप्पन और शरद की दर्दभरी दास्तां…
खेल
रत्न मरियप्पन थंगावेलु का पैरालंपिक खेलों में यह दूसरा मेडल है। इससे
पहले 26 वर्षीय मरियप्पन साल 2016 में रियो में हुए पैरालंपिक खेलों में
गोल्ड जीत चुके हैं। मरियप्पन के लिए खेल को अपनाना आसान नहीं था। उन्हें
कभी पिता का साया नहीं मिला। मां ने अकेले ही हर मुश्किल का सामना करते हुए
बेटे को पाला। मरियप्पन का जन्म तमिलनाडु के सेलम जिले के पेरियावादमगट्टी
गांव में हुआ था।
मरियप्पन जब पांच साल के थे और स्कूल जा रहे थे
तो एक बस उनके पैर पर चढ़ गई और उनका दाहिना घुटना बुरी तरह से कुचल दिया।
दूसरी ओर, मुजफ्फरपुर के शरद कुमार साल 2018 में एशियन पैरा एथलेटिक्स में
1.9 मीटर की हाई जम्प लगाकर गोल्ड मेडल भी जीत चुके हैं। शरद दो साल की
उम्र में ही पोलियोग्रस्त हो गए थे जिसके चलते उनके शरीर के कुछ हिस्से
पैरालाइसिस हो गए थे।