भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक यादगार रहा। यहां भारत ने कुल सात पदक जीते जो उसके ओलंपिक इतिहास में सर्वाधिक है। हॉकी में लगा कि भारत के स्वर्णिम युग की वापसी हो गई है। भारतीय पुरुष टीम ने तगड़ा खेल दिखा कांस्य पदक पर कब्जा जमाया, जबकि महिलाएं भी ज्यादा पीछे नहीं रहीं। महिला टीम ग्रेट ब्रिटेन को जबरदस्त टक्कर देती हुई कांस्य पदक का मुकाबला 3-4 से हार गई। भारत को इस लाजवाब प्रदर्शन का फायदा मिला है। दोनों वर्गों में भारत ने विश्व रैंकिंग में अपना सर्वश्रेष्ठ स्थान हासिल किया।
पुरुष टीम तीसरे और महिला टीम 8वें स्थान पर पहुंच गई। भारतीय पुरुष टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा कि रैंकिंग और 41 साल बाद ओलंपिक पदक से भारतीय हॉकी के बढ़ने की शुरुआत हुई है। अब पीछे मुड़कर नहीं देखना, हमने अपने लिए मानदंड स्थापित कर दिए। दूसरी ओर, महिला टीम की कप्तान रानी रामपाल ने कहा कि हम पोडियम पर पहुंचने के बहुत करीब थे। टीम को यह काफी दुख दे रहा है कि हम ऐसा नहीं कर पाए। हालांकि अच्छी चीज है कि हमने हाल के वर्षों में शानदार प्रगति की है और मुझे इस पर गर्व है।
शुरुआती तीन राउंड तक दूसरे स्थान पर थीं अदिति अशोक
भारतीय
गोल्फर अदिति अशोक टोक्यो में काफी नजदीकी अंतर से पदक जीतने से चूक गईं।
वे शुरुआती तीन राउंड में दूसरे स्थान पर रहीं, लेकिन शनिवार को चौथे व
अंतिम राउंड में यह फॉर्म बरकरार नहीं रख पाने से चौथे स्थान पर खिसक गई।
अदिति ने अंतिम राउंड में पांच बर्डी और दो बोगी के साथ तीन अंडर 68 और कुल
15 अंडर 269 का स्कोर किया।
अदिति ने कहा कि किसी और टूर्नामेंट
में मुझे खुशी होती, लेकिन ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहकर खुश होना मुश्किल
है। मैने अच्छा खेला और अपना शत-प्रतिशत दिया। मुझे लगता है कि आखिरी दौर
में इससे बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी। काश मैं पदक जीत पाती, लेकिन मुझे
उम्मीद है कि अभी भी सब खुश होंगे। मैने आखिरी दौर से पहले इस बारे में
ज्यादा नहीं सोचा कि लोग मुझे टीवी पर देख रहे हैं।
इलियुड किपचोगे ने लगातार दूसरी बार जीती मैराथन रेस
केन्या
के इलियुड किपचोगे ने रविवार को आखिरी 12 किमी में गति बढ़ाकर टोक्यो
ओलंपिक खेलों की पुरुष मैराथन प्रतियोगिता (50 किमी रेस) में खिताब का
बखूबी बचाव किया। किपचोगे ने उमस भरे मौसम में सापोरो की सड़कों पर दौड़ते
हुए 2 घंटे 8 मिनट 38 सैकंड में दौड़ पूरी करके स्वर्ण पदक जीता। किपचोगे
नीदरलैंड्स के रजत पदक विजेता अब्दी नगीये से 80 सैकंड से भी ज्यादा समय
आगे रहे। बेल्जियम के बाशिर अब्दी ने कांस्य पदक जीता। इस प्रतियोगिता के
साथ ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धाओं का भी समापन हुआ। किपचोगे ओलंपिक की पुरुष
मैराथन में एक से ज्यादा स्वर्ण जीतने वाले तीसरे धावक बन गए हैं।