टीम इंडिया के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने खुलासा किया है कि वर्ष 2014 में महेंद्र सिंह धोनी की टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की खबर से पूरी टीम हैरान हो गई थी। धोनी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए मेलबोर्न टेस्ट के बाद रिटायरमेंट लेकर सबको चौंका दिया था। धोनी ने वह टेस्ट ड्रॉ कराने में अहम भूमिका निभाई थी। धोनी ने पोस्ट मैच कॉन्फ्रेंस में भी संन्यास का कोई संकेत नहीं दिया था। शास्त्री तब टीम इंडिया के डायरेक्टर थे। शास्त्री ने स्टार स्पोर्ट्स से बातचीत में कहा कि मैच के बाद धोनी मेरे पास आए और कहा कि वे टीम को संबोधित करना चाहते हैं।
सच कहूं तो मुझे लगा कि वे मैच से संबंधित कुछ बातें करेंगे, लेकिन उन्होंने संन्यास का ऐलान कर सबको चौंका दिया। उसके बाद ड्रेसिंग रूम में मौजूद सभी खिलाड़ियों का चेहरा उतर गया था। धोनी खुद भी जानते थे कि भारत का अगला कप्तान कौन होगा। उन्होंने बतौर लीडर विराट कोहली को आगे बढ़ते देखा था। धोनी बस सही वक्त का इंतजार कर रहे थे। धोनी ने 90 टेस्ट खेले। कोहली सिडनी टेस्ट से टेस्ट टीम के कप्तान बने।
कोहली और रोहित के लिए आपदा में अवसर : शास्त्री
रवि
शास्त्री ने विराट कोहली से वनडे टीम की कप्तानी छीने जाने पर भी चुप्पी
तोड़ी है। शास्त्री ने कहा कि कोहली की जगह रोहित शर्मा को वनडे और टी20
टीम का कप्तान बनाना भविष्य के लिए बिल्कुल सही फैसला है। मुझे लगता है कि
टेस्ट और वनडे टीम के अलग-अलग कप्तान होना सही है। यह एक तरह से कोहली और
रोहित के लिए आपदा में अवसर जैसा साबित हो सकता है, क्योंकि कोरोना से पैदा
हुए हालात में एक ही व्यक्ति के लिए तीनों फॉर्मेट में टीम की कप्तानी
संभालना आसान नहीं होगा।
वनडे कप्तानी से हटने के बाद अब कोहली
टेस्ट क्रिकेट पर फोकस कर सकते हैं और जब तक टीम की बागडोर संभालना चाहते
हैं, तब तक ऐसा कर सकते हैं। अब कोहली के पास खेल पर ध्यान देने का पूरा
वक्त होगा। उनके पास अभी भी 5-6 साल का क्रिकेट बचा है। उल्लेखनीय है कि
कोहली से वनडे कप्तानी लेने पर भारतीय क्रिकेट में विवाद शुरू हो गया था।
इस मुद्दे पर कोहली और बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने अपना पक्ष रखा
था, लेकिन दोनों के बयान काफी अलग थे।