दुनिया के 5 सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली भी शामिल, तय मानक से करीब छह गुना ज्यादा खराब है हवा

कोरोना संक्रमण महामारी के चलते दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन लगाया गया। जिसके बावजूद वायु प्रदूषण का खतरा बरकरार है। विश्व के सर्वाधिक पांच प्रदूषित शहरों में दिल्ली का भी नाम शामिल है। गत वर्ष दुनिया के पांच बड़े शहरों में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की बात करें तो दिल्ली शीर्ष पर रही। यहां कुल 54 हजार मौतें हुईं और 8.1 अरब डॉलर यानी करीब 588 अरब रुपये का नुकसान हुआ। यह दिल्ली के 13 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के बराबर है। जापान की राजधानी टोक्यो में 40 हजार मौतें हुईं और उसे सबसे ज्यादा 43 अरब डॉलर यानी 3,122 अरब रुपये का नुकसान हुआ।

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ की तरफ से तय मानक से करीब छह गुना ज्यादा रहा। दिल्ली में पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 के कारण 10 लाख में से करीब 1,800 लोगों की मौत हो जाती है। बेहद छोटे प्रदूषक तत्व जिनका व्यास 2.5 माइक्रो मीटर से भी कम होता है, उन्हें पीएम 2.5 कहा जाता है। ये दुनियाभर में प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह माने जाते हैं। वर्ष 2015 में इसके कारण 42 लाख लोगों की मौत हुई थी।

World City Populations 2021

- Tokyo (Population: 37,435,191)
- Delhi (Population: 29,399,141)
- Shanghai (Population: 26,317,104)
- Sao Paulo (Population: 21,846,507)
- Mexico City (Population: 21,671,908)
- Cairo (Population: 20,484,965)
- Dhaka (Population: 20,283,552)
- Mumbai (Population: 20,185,064)
- Beijing (Population: 20,035,455)
- Osaka (Population: 19,222,665)

ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर की ग्रीनपीस शोध प्रयोगशाला के वायु प्रदूषण विज्ञानी एडन फैरो के अनुसार, प्रदूषण से न सिर्फ जान का नुकसान होता है, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है। समस्या बड़ी है और इसे खत्म करने के लिए बड़े प्रयासों की जरूरत है।

ग्रीनपीस इंडिया के क्लाइमेट कैंपेनर अविनाश चंचल के अनुसार, ‘हमें ऊर्जा के स्वच्छ स्नेतों पर ध्यान देना होगा। पैदल, साइकिल या सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना चाहिए। आइक्यूएयर के सीईओ फ्रैंक हैम्स कहते हैं, वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में सरकार व संस्थाओं के साथ-साथ लोगों को निजी स्तर पर भी काम करना चाहिए।

बता दे, पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले संगठन ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया व वायु गुणवत्ता तकनीक कंपनी आइक्यूएयर ने 28 महानगरों की वायु गुणवत्ता का विश्लेषण किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, वायु प्रदूषण वैश्विक स्तर पर लोगों की सेहत के लिए सबसे बड़ा प्राकृतिक खतरा बन चुका है। खराब हवा के कारण हर साल 70 लाख लोग असमय मौत के मुंह में समा जाते हैं। 10 में से 9 लोग प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। इसकी वजह से फेफड़ों का कैंसर व दिल संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं।