IPC सेक्शन 292 के तहत पॉर्न देखना अपराध नहीं, HC ने दिए नाबालिग के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने के निर्देश

नई दिल्ली। केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में दिए अपने एक निर्णय में सड़क पर खड़े होकर पॉर्न फिल्म देखने के मामले में एक नाबालिग के खिलाफ दर्ज हुए मामले को रद्द करने का निर्देश दिया। दरअसल यह मामला एक लड़के के खिलाफ दर्ज था। यह लड़का सड़क पर खड़े होकर अपने मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो देख रहा था। इस मामले पर हाल ही में केरल HC ने कहा कि किसी के निजी समय में दूसरों को दिखाए बिना पॉर्न देखना IPC के सेक्शन 292 के तहत अपराध नहीं है। यह सेक्शन अश्लीलता से संबंधित है।

लेकिन इस मामले को खत्म करने से पहले जस्टिस पी वी कुन्हिकृष्णन ने पेरेंट्स को याद दिलाया कि बच्चों द्वारा पॉर्न देखने के दूरगामी परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि पॉर्नोग्राफी अपराध नहीं हो सकता है। अगर नाबालिग बच्चे पॉर्न वीडियो देखना शुरू कर देंगे तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे। माता-पिता को कभी भी नाबालिग बच्चों को खुश करने के लिए उन्हें मोबाइल फोन नहीं सौंपना चाहिए। बच्चों को अपने ख़ाली समय में क्रिकेट या फ़ुटबॉल या अन्य खेल खेलने दें जो उन्हें पसंद हों।

जस्टिस ने आगे कहा, ‘स्विगी’ और ‘जोमैटो’ के जरिए रेस्टोरेंट से खाना खरीदने के बजाय बच्चों को उनकी मां के हाथ के बने स्वादिष्ट खाने का स्वाद चखने दें। बच्चों को खेलने दें और वापस आने पर मां के हाथ से भोजन की मंत्रमुग्ध कर देने वाली खुशबू चखने दें। मैं इसे इस समाज के नाबालिग बच्चों को उनके माता-पिता के विवेक पर छोड़ता हूं।”

नाबालिग के खिलाफ IPC की धारा 292 के तहत दर्ज हुआ था मामला

ज्ञातव्य है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ साल 2016 में IPC की धारा 292 के तहत मामला दर्ज किया गया था। वह एर्नाकुलम के अलुवा में एक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष लंबित मामले को रद्द करने के आदेश की मांग करते हुए HC पहुंचा था। IPC की धारा 292 अश्लीलता से संबंधित है। यह मुख्य रूप से किसी भी अश्लील पुस्तक, पैम्फलेट, कागज, ड्राइंग, पेंटिंग, आकृति या किसी अन्य अश्लील वस्तु की बिक्री, सार्वजनिक प्रदर्शनी, प्रसार से जुड़ी है।

जब्त कर लिया गया था लड़के का मोबाइल

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी को अलुवा में सड़क पर खड़े होकर अपने मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो देखते हुए देखे जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था। उसका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया गया था। बाद में पुलिस ने उस पर मामला दर्ज कर लिया। मुद्दे की गंभीरता और IPC की धारा 292 पर गौर करने के बाद जस्टिस ने कहा, “मेरी सुविचारित राय है कि इस मामले में याचिकाकर्ता द्वारा कोई अपराध नहीं किया गया है।”

कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति द्वारा अकेले में अश्लील फोटो देखना IPC की धारा 292 के तहत अपराध नहीं है। इसी तरह, किसी व्यक्ति द्वारा प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए में मोबाइल फोन से अश्लील वीडियो देखना भी IPC की धारा 292 के तहत अपराध नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर आरोपी अश्लील सामग्री को सर्कुलेट करता या बांटता या फिर खुलेआम दिखाता पाया जाता, तब यह IPC की धारा 292 के तहत अपराध होता।