एम्स जोधपुर : लक्षणहीन मरीजों में एक सप्ताह का आइसाेलेशन पर्याप्त, 7 विभागों के 22 विशेषज्ञों की टीम ने की रिसर्च

कोरोना के कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जहां बिना लक्षण वाले मरीज दिखाई दे रहे हैं जिन्हें एसिम्टेमेटिक माना जाता है। एम्स जोधपुर ने हाल ही में ऐसे मरीजों पर रिसर्च की और यह पाया कि ऐसे मरीजों में वायरस फैलाने की क्षमता 6 दिन तक ही होती है जिसके चलते एक सप्ताह का आइसाेलेशन पर्याप्त हैं। एम्स जोधपुर के 7 विभागों के 22 विशेषज्ञों की टीम की इस रिसर्च का पेपर हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने अमेरिका के संक्रामक रोग साेसायटी की ओर से प्रकाशित किया है।

शोधकर्ता एम्स माइक्रोबाॅयोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रविशेखर गड्डेपल्ली ने बताया कि रिसर्च में 44 ए सिम्टेमेटिक मरीजों को शामिल कर उन्हें आइसोलेशन सेंटर में रखा गया। डॉक्टराें ने सभी मरीजों को थर्मामीटर दिया। दिन में तीन बार उन्होंने अपना तापमान नापा और रिकॉर्ड किया। हर रोज आरटीपीसीआर विधि से मरीजों के नाक और मुंह के अंदर का स्वाब लेकर टेस्ट किया गया। मरीजों को एम्स की ओर से रोज एक मास्क दिया जाता था। इसे मरीज केवल खाना खाते और पानी पीने के वक्त ही हटाता था।

ऐसे निकाला निष्कर्ष, मरीजों के स्वाब के साथ मास्क की भी रोज जांच, 7वें दिन वायरस गायब

शोध में हर मरीज के स्वाब सैंपल के साथ उनके सर्जिकल मास्क की भी आरटीपीसीआर विधि से जांच की गई। ताकि पता चले कि मास्क में कितने दिन तक वायरस का आरएनए डिटेक्ट होता है। रिसर्च में मास्क का सैंपल छठे दिन तक पॉजिटिव आया, फिर लगातार दो बार निगेटिव आना शुरू हुआ। हर मरीज का सैंपल तब तक जांचा गया, जब तक कि दो बार निगेटिव ना आया हो।

ऐसे लेते थे मास्क का सैंपल

सीनियर रेजीडेंट डॉ. अर्धदीप समाद्दार ने बताया कि प्रत्येक मरीज के मास्क के उस हिस्से को मार्क किया था, जहां हाथ नहीं लगाना था। प्रतिदिन मास्क उतारने के बाद उसकी लेस काट कर अलग रखी जाती थी। फिर आइस पैक में एम्स लाया जाता था। यहां आते ही वीटीएम से मास्क के अंदर की तरफ स्वाबिंग किया जाता और फिर उस स्वाब से आरएनए अलग कर आरटीपीसीआर जांच की जाती थी। 6 दिन तक सैंपल पॉजिटिव आता रहा। 7वें और 8वें दिन निगेटिव आया।