हर व्यक्ति के लिए एक शिक्षक का विशेष महत्व होता हैं और इसी के साथ ही शिक्षक की अपनी अलग-अलग परिभाषा होती हैं। लेकिन यह बात सच है कि एक सच्चा मार्गदर्शक ही सच्चा शिक्षक होता हैं। आज "शिक्षक दिवस" ले इस ख़ास मौके पर हम आपको एक हिन्दू लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं जो मुस्लिम बच्चों को कुरान पढ़ाती हैं। तो आइये जानते हैं इस लड़की के बारे में।
इस लड़की का नाम है पूजा कुशवाहा, जो कि स्वयं कॉलेज की छात्रा है और उसकी उम्र 20 साल है। लेकिन स्कूल से आने के बाद वो शिक्षिका के रोल में आ जाती है और बच्चों को कुरान का पाठ पढ़ाती है। पूजा की पाठशाला हर शाम खुले आसमान के नीचे आगरा के संजय नगर स्थित एक मंदिर में लगती है। हिंदू होने के बावजूद पूजा को अरबी के एक-एक शब्द में महारथ हासिल है।
इस बारे में बात करते हुए पूजा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जब वो बहुत छोटी थी तो उसके महल्ले में एक सरिता नाम की महिला रहती थीं, जो कि मुस्लिम पिता और हिंदू मां की बेटी थीं, उन्होंने इलाके में कुरान पढ़ना शुरू किया था। मेरी दिलचस्पी इस ग्रंथ में बढ़ गई और मैं भी उस क्लास का अहम हिस्सा बन गई, मेरे मां-बाप ने भी मुझे इस बात के लिए नहीं रोका, धीरे-धीरे मैं सरिता दीदी की क्लास की सबसे मेधावी छात्रा बन गई।
लेकिन कुछ कारणों की वजह से अचानक सरिता दी को क्लास छोड़नी पड़ी लेकिन उन्होंने मुझसे आग्रह किया कि मैं इस स्कूल को बंद ना होने दूं और इसलिए मैं इस पाठशाला को आगे बढ़ा रही हूं। मेरी क्लास में पढ़ने वाली बच्चियों के अभिभावक को मेरे हिंदू होने पर कोई एतराज नहीं है।
पूजा मुफ्त शिक्षा देती है, उसकी क्लास में ऐसे बच्चे आते हैं जिनके मां-बाप काफी गरीब है। पूजा की कोशिशों ने साबित कर दिया है कि शिक्षा का धर्म उसे बांटने में है, उसका मजहब ही लोगों को ज्ञान के मोती में पिरोना है।
पूजा की बड़ी बहन नंदिनी हैं, जो को गरीब बच्चों को गीता का पाठ पढ़ाती हैं। दोनों ही बच्चियों पर उनके मां-बाप को गर्व है। शहर के इस्लामिक संगठन भी पूजा की तारीफ करते नहीं थकते हैं, उन्होंने कहा कि अगर कोई ग्रंथ को सही ढंग से जानता है,तो इससे बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता कि वो किस मजहब का है और शिक्षा देना तो अपने आप में पाक काम है।