राजस्थान में प्रदूषण : बच्चों में प्रदूषण से मृत्युदर सर्वाधिक, हालात खराब फिर भी खुले है स्कूल

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से हालात बाद से बदतर होते जा रहे हैं जिस वजह से स्कूलों को बंद कर दिया गया है। हांलाकि राजस्थान में भी प्रदूषण के हालात सही नहीं हैं। बल्कि ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज रिपोर्ट-2017 के अनुसार देश में प्रदूषण से 1 से लेकर 5 साल तक के बच्चों की मौतों के मामले में राजस्थान शीर्ष पर है। यहां प्रति एक लाख बच्चों पर 126 बच्चों की मौत प्रदूषण के कारण होने वाली गंभीर बीमारियों से हो जाती है। कैंसर और हृदय संबंधी गंभीर बीमारियां भी होती हैं। शिक्षा विभाग को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।

कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बढ़ते वायु प्रदूषण पर भी चिंता जाहिर की है। उसने स्कूलों को बंद करने सहित कई प्रतिबंधों को लागू करने की बात कही है। पैरेंट्स भी चिंतित हैं कि एक तरफ प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ एक माह में प्रदूषण भी तेजी से बढ़ा है। नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित बेल्जियम में हुई स्टडी में बताया गया कि जब भ्रूण नियमित रूप से अपनी मां के माध्यम से जहरीली हवा के संपर्क में आता है, तो यह फेफड़ों के विकास में रुकावट पैदा करता है।

किस तरह प्रदूषण डालता हैं बच्चों पर असर

- मॉडरेट एक्यूआई में फेफड़ो और दिल के मरीजों को सांस लेने मे कठिनाई होती है।
- पूअर में लंबे समय तक सांस लेने में तकलीफ। वेरी पूवर में सांस की बीमारी का खतरा।
- सिवियर एक्यूआई स्वस्थ लोगों को प्रभावित करता है। गंभीर रोग हो सकते हैं।
- दुनिया में हर साल औसतन 1.5 लाख बच्चों की मौत प्रदूषण से होती है।
- बच्चे तेजी से सांस लेते हैं इसलिए बड़ों के मुकाबले 20% ज्यादा प्रदूषित कण खींचते हैं।
- प्रदूषण के कारण बच्चों में सर्वाधिक मामले लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन व निमोनिया के आते हैं।