गणतंत्र दिवस 2019 - संविधान की मदद से मिला विज्ञान को विकास, देश ने लहराया अपना परचम

कठिन प्रयास और कई कुर्बानियों के बाद देश को आजादी नसीब हुई हैं। इस आजादी के बाद देश को विकासशील बनाने और सुचारू संचालन के लिए संविधान बनाया गया हैं। जी हाँ, देश के सभी वर्गों और क्षेत्रों का समान विकास करने के लिए 26 जनवरी, 1950 को संविधान को पूर्ण रूप से लागू किया गया। जिस तरह हर क्षेत्र का विकास हुआ है उसी तरह विज्ञान के क्षेत्र में भी उन्नति हासिल की गई। आज हम आपको संविधान के बाद से अंतरिक्ष तकनीक में आए बदलावों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इस बारे में।

रक्षा तकनीक और अंतरिक्ष तकनीक पर करीब– करीब शून्य आत्मनिर्भरता के बावजूद, आज हम इस क्षेत्र के सबसे उन्नत राष्ट्रों में से एक हैं। वर्ष 1975 में भारत ने पहले अंतरिक्ष उपग्रह का डिजाइन तैयार किया था। इस उपग्रह का नाम महान भारतीय ज्योतिषाचार्य और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था। इसके अलावा मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने वाला भारत दुनिया का चौथा देश और अपने पहले ही प्रयास में सफल रहने वाला पहला देश बन चुका है।

भारत ने अपने पहले ही प्रयास में चंद्रमा की पड़ताल के लिए भेजे जाने वाले चंद्रयान को लॉन्च करने में सफलता अर्जित की और चंद्रमा की मिट्टी में पानी के कणों की मौजूदगी की खोज भी की। घरेलू संचार के लिए उपग्रह विकसित करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। इन सभी कार्यों का श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) को जाता है।