लोकसभा में पारित हुआ सरोगेसी बिल, उद्देश्य भारतीय महिलाओं को उत्पीड़न से बचाना

बुधवार को लोकसभा में सरोगेसी (नियामक) विधेयक को पारित कर दिया गया है। भारत में सरोगेसी (किराए की कोख) से उभरने वाली समस्याओं से निपटने के लिए यह विधेयक लाया गया है। यह विधेयक व्यावसायिक सरोगेसी और इससे जुड़े अनैतिक कार्यों पर रोक लगाएगा। विधेयक में राष्ट्रीय एवं राज्य सरोगेसी बोर्ड गठित करने की बात कही गई है। इसके अलावा सरोगेसी के नियमन के लिए अधिकारियों के नियुक्ति की जाएगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि सभी सांसदों ने महिला और बच्चे की गरिमा का ध्यान रखने के लिए अपनी बात सदन में कही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि व्यावसायिक सरोगेसी पर रोक लगाने के लिए यह विधेयक लाया गया है। इस विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने कहा कि व्यावसायिक रूप से सरोगेसी के लिए भारत को एक बड़ा केंद्र समझा जाता है। उन्होंने कहा कि इस धारणा को बदलने की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह विधेयक लाने का उद्देश्य भारतीय महिलाओं को उत्पीड़न से बचाना है।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि 80 फीसदी सरोगेसी के केस भारत में होते हैं और इससे देश का नाम खराब होता है।

भारतीय होना होगा, शादी को पांच साल हुए हो

यह विधेयक केवल उन्हीं जोड़ों को सरोगेसी की अनुमति देगा जो बच्चा नहीं जन सकते। विधेयक के मुताबिक सरोगेसी का लाभ उठाने के इच्छुक व्यक्तियों को भारतीय होना होगा और उनकी शादी के कम से कम पांच साल हुए हों। इसके अलावा जोड़े में से किसी एक को यह साबित करना होगा कि वह बच्चा जनने की स्थिति में नहीं हैं।