सुप्रीम कोर्ट का केजरीवाल आवास मामले में इंजीनियरों को करारा झटका, नोटिस रद्द करने से इंकार

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास नवीनीकरण मामले में 6 पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने विजिलेंस के कारण बताओ नोटिस को रद्द करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के पास जाने के लिए कहा है। इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी थी। 6 पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों को दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कारण बताओ नोटिस को रद्द करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी। साथ ही उन्हें केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के पास जाने को कहा है।

इससे पहले, उनकी याचिका 21 सितंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने उन्हें कारण बताओ नोटिस के खिलाफ कैट से संपर्क करने के लिए भी कहा था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

17 अगस्त को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने अधिकारियों की याचिका पर दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय, PWD और विशेष सचिव (सतर्कता) को नोटिस जारी किया था।

हालांकि, हाई कोर्ट डिवीजन बेंच ने कहा कि 19 जून को विशेष सचिव (सतर्कता) के नोटिस के खिलाफ अधिकारियों द्वारा सिंगल जज के समक्ष दायर की गई रिट याचिका एल चंद्र कुमार बनाम भारत संघ मामला 1997 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के मद्देनजर सुनवाई योग्य नहीं थी।

उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “…सेवा विवाद के संबंध में, पहली बार में, प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा 19 के तहत एक आवेदन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए…” हाई कोर्ट ने कहा था, “इसलिए, वादियों के लिए उन मामलों में भी सीधे उच्च न्यायालयों से संपर्क करना खुला नहीं है, जहां वे संबंधित न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र की अनदेखी करके वैधानिक विधानों की प्रकृति पर सवाल उठाते हैं (सिवाय इसके कि उस विशेष न्यायाधिकरण को बनाने वाले कानून को चुनौती दी जाती है)।’