नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) को 28 अगस्त ढाई बजे को ढहा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे ढहाने का आदेश एक साल पहले ही दे दिया था। दरअसल, ट्विन टावर को अवैध रूप से बनाया गया था। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इसे ढहाने का आदेश दिया।
ट्विन टावर को गिराने से पहले अधिकारियों ने आस-पास सोसाइटी में रह रहे लोगों को वहां से बाहर निकलने को कहा था। टावर गिराने से पहले अच्छी तरह चेकिंग की गई। तभी सूचना मिली कि एक आदमी एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के अपार्टमेंट में सो रहा था। इस बात की सूचना मिलते ही सभी हैरान रह गए। सिक्योरिटी गार्ड ने बताया कि ऊपरी मंजिल में एक शख्स गहरी नींद में सो रहा है। उसके बाद इस टीम ने टावर को फिर से चेक कराया।
जब स्पेशल टीम ने अपार्टमेंट में जाकर देखा तो एक शख्स गहरी नींद में सोता मिला। विशेष कार्यबल के सदस्य नरेश केशवानी ने बताया, 'टावर खाली कराने की योजना के तहत हमने दूसरी बार अपार्टमेंट को चेक किया। उस समय ये शख्स सोता हुआ मिला, टावर खाली करने की डेडलाइन के बारे में वो शख्स भूल गया था।'
उन्होंने बताया कि किसी तरह सिक्योरिटी गार्ड ने उसे जगाया और उसे 7 बजे के आसपास टावर से बाहर लाया गया। उन्होंने आगे बताया, 'हम एक महीने से इस योजना पर काम कर रहे थे। इस योजना के तहत ही हमने अपार्टमेंट को दो बार चेक करने की योजना बनाई थी।'
आपको बता दे, एमराल्ड कोर्ट में टोटल 15 आवासीय टावर हैं और हर टावर में 44 अपार्टमेंट हैं। इस जगह पर लगभग 2500 निवासी और 1200 वाहन हैं। टावरों को खाली कराने के लिए स्पेशल फोर्स का गठन किया गया था। इस टीम में सात सदस्य सोसाइटी के भी थे। इसके अलावा हर टावर के लिए एक कप्तान भी बनाया गया था।
टीम ने सभी टावर के अपार्टमेंट वालों को बाहर निकाल दिया था। इस कमेटी के प्रयास से ही सुबह 7 बजे तक बच्चों और बुजुर्गों को सभी 15 आवासीय टावरों से निकाल लिया गया था। टीम का नेतृत्व एमराल्ड कोर्ट के गौरव मेहरोत्रा ने किया था।