पंजाब में बड़ी मात्रा में पराली जलाने की हुई शुरुआत, 2 हफ्ते में सामने आए 1200 से ज्यादा मामले

पंजाब (Punjab) में किसान बड़ी मात्रा में पराली जलाने की शुरुआत हो चुकी हैं। 21 सितंबर से शुरू हुए धान की कटाई के पहले दो हफ्तों में पराली जलाने की घटनाएं 1,206 दर्ज की गई हैं। पराली जलाने से दिल्‍ली समेत अन्‍य राज्‍यों में वायु प्रदूषण का स्‍तर भी बढ़ने लग गया है। अब इस समस्‍या को लेकर अफसरों के बीच चिंता जाहिर हो रही है।

पराली जलाने की 1,206 मामले

पंजाब में पराली जलाने की कुल घटनाओं में से अकेले 50 फीसदी अमृतसर में सामने आई हैं। यहां 686 नए मामले दर्ज किए गए हैं। अमृतसर के बाद तरनतारन में 259, गुरदासपुर में 50 और पटियाला 60 मामले दर्ज किए गए हैं। जिन जिलों में धान की शुरुआती किस्मों की बुवाई की गई है, वहां अधिकांश मामले दर्ज किए गए हैं।

कृषि विभाग के अफसर के मुताबिक पिछली खरीफ फसल की तुलना में राज्य की एजेंसियों ने इस सीजन में कड़े कदम उठाए हैं और पराली जलाने की घटनाओं पर काबू पाने की संभावना है। हालांकि, चीजें गड़बड़ा गई हैं। उन्होंने मामलों में बढ़ोतरी को शुरुआती फसल के लिए जिम्मेदार ठहराया।

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) हालांकि बढ़ोतरी को कम दिखाता है। बोर्ड के सदस्य सचिव क्रुणेश गर्ग ने कहा, 'यह सीजन की शुरुआत है और वास्तविक रुझान अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक सामने आएंगे। जब हम सीजन के बीच में होंगे।' 2018 और 2019 सीजन में मामलों की संख्या 50 हजार को पार कर गई थी और गर्ग ने उम्मीद जताई है कि इस संख्या में अब कमी आएगी।

350 किसान पराली जलाते पकड़े गए

इन आग की घटनाओं की जांच के लिए राज्य सरकार ने धान उगाने वाले गांवों में सतर्कता बरतने के लिए 8,000 नोडल अधिकारियों को अधिकृत किया है। राज्य में 10,500 गांव हैं, जहां इस वर्ष धान 66 लाख एकड़ से अधिक हुआ है। इसमें से 17.5 लाख एकड़ लंबी फसल सुगंधित बासमती की है। पीपीसीबी की ओर से इस साल अब तक 350 किसान पराली जलाते पकड़े गए हैं। उन पर अब तक कुल 9.3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अन्य 98 मामलों में उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करने की प्रक्रिया चल रही है।