राजस्थान: नागौर में बड़ा हादसा टला, सरकारी स्कूल की जर्जर छत गिरी, बाल-बाल बचे बच्चे

राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना क्षेत्र के खारियावास गांव में गुरुवार सुबह एक गंभीर हादसा होते-होते टल गया। यहां स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की मुख्य छत अचानक भरभराकर गिर पड़ी। यह घटना सुबह लगभग 8 बजे घटी, जब स्कूल के सभी छात्र प्रार्थना सभा के लिए मैदान में मौजूद थे। गनीमत रही कि छत के नीचे उस वक्त कोई नहीं था, जिससे कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।

स्थानीय लोगों और स्कूल कर्मियों ने बताया कि स्कूल की इमारत पहले से ही जर्जर अवस्था में थी। बरामदे की छत की पट्टियों में दरारें थीं, जो लंबे समय से बनी हुई थीं। शिक्षक समय रहते सतर्क हो गए थे और बच्चों को बाहर मैदान में एकत्रित कर चुके थे। इसी निर्णय ने संभवतः कई मासूम जिंदगियों को बचा लिया। छत गिरने की तेज आवाज से परिसर में कुछ समय के लिए हड़कंप मच गया, लेकिन स्थिति जल्द ही नियंत्रण में आ गई।

घटना की सूचना मिलते ही शिक्षा विभाग और प्रशासन के अधिकारी स्कूल पहुंचे। अधिकारियों ने टूटे हुए हिस्से का निरीक्षण किया और एहतियातन उस क्षेत्र को सील कर दिया गया। स्कूल स्टाफ और छात्रों को उस दिशा में न जाने की सख्त हिदायत दी गई है। विद्यालय प्रशासन ने घटना की रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेज दी है, जिसमें भवन की तत्काल मरम्मत या एक नए भवन की मांग की गई है।

गांव के निवासियों का कहना है कि स्कूल की खस्ता हालत को लेकर कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं, मगर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने बताया कि यदि बच्चे उस समय बरामदे में होते, तो एक बड़ा हादसा होना तय था। ग्रामीणों ने प्रशासन और पंचायत से तत्काल हस्तक्षेप करने और विद्यालय भवन को ठीक कराने की पुरजोर मांग की है।

विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने भी स्वीकार किया कि भवन की हालत बेहद खराब है और इसमें बच्चों की सुरक्षा गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सुरक्षा के लिहाज से पहले ही यह निर्णय लिया गया था कि प्रार्थना सभा खुले मैदान में कराई जाएगी, जो आज की घटना में वरदान साबित हुई।

यह घटना एक बार फिर राज्य के सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति को सामने लाती है। इससे पहले झालावाड़ जिले में इसी तरह की लापरवाही की वजह से 8 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। खारियावास की यह घटना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अब और देर करना बच्चों के जीवन को जोखिम में डालना होगा। प्रशासन को तुरंत स्कूल भवनों का व्यापक निरीक्षण कर जरूरी मरम्मत कार्य शुरू कर देना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई अनहोनी न हो।