सोनू सूद बने हीरो से जीरो! 20 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का आरोप, AAP-शिवसेना ने बताया साजिश

कोरोनाकाल में गरीबों का मसीहा के रूप में नजर आए अभिनेता सोनू सूद बड़ी मुश्किल में फंस गए हैं। उन पर 20 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का आरोप लगा है। आयकर विभाग ने सोनू और उनके नजदीकियों से जुड़े 28 अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की। तीन दिन तक चली इन रेड के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सोनू को घेरा है। 48 वर्षीय सोनू पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी संस्थाओं से गलत तरीके से ढेर सारे पैसे लिए हैं।

ऐसे बोगस लोन और बिलिंग के कई डॉक्यूमेंट्स उनके ठिकानों से मिले हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 1 करोड़ 8 लाख रुपए जब्त कर लिए हैं। सीबीडीटी के अनुसार आईटी विभाग ने सोनू के मुंबई स्थित ठिकानों और उनसे संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट से जुड़े लखनऊ स्थित औद्योगिक समूह के अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारियां कानपुर, जयपुर, दिल्ली, गुरुग्राम सहित 28 ठिकानों पर की गई।


जुलाई 2020 में बनाया था सोनू सूद चैरिटी फाउंडेशन

कोरोना की पहली लहर में जरूरतमंद लोगों को उनके घर तक पहुंचाने में मदद करने वाले सोनू पर आरोप है कि उन्होंने सोनू सूद चैरिटी फाउंडेशन के नाम पर 2020 जुलाई में 18 करोड़ रुपए से अधिक का डोनेशन जुटाया। 2021 के अप्रैल तक इसमें से 1.9 करोड़ रुपए राहत कार्यों पर खर्च किए गए। बाकी 17 करोड़ रुपए नॉन प्रॉफिट बैंक में बिना इस्तेमाल के रखे गए हैं। इससे पहले एक न्यूज एजेंसी ने खबर दी थी कि सोनू ने विदेशी योगदान विनिमय अधिनियम (एफसीआरए) से जुड़े नियम भी तोड़े थे। फिर उन्होंने विदेश से धन हासिल किया था। इस राशि को सोनू ने अलग-अलग जगहों पर खर्च किया।


आप और शिवसेना ने केंद्र सरकार को घेरा

सोनू ने कुछ दिनों पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। सोनू दिल्ली सरकार के मेंटर कार्यक्रम के ब्रांड एंबेसडर भी बने थे। सोनू के खिलाफ आयकर विभाग की कार्रवाई का आम आदमी पार्टी (आप) और शिवसेना ने विरोध किया है। कहा जा रहा है कि सोनू को राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है। शिवसेना ने कहा कि कल तक सोनू भाजपा को बहुत अच्छे लगते थे। महाराष्ट्र के राज्यपाल उन्हें बुलाकर उनसे मिले थे।

आज उनके खिलाफ जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने कहा कि सोनू जैसे ईमानदार व्यक्ति पर एक आईटी छापेमारी, जिसे लाखों लोगों द्वारा मसीहा कहा गया है, जिसने दलितों की मदद की है। अगर उनके जैसे अच्छी सोच वाले व्यक्ति को राजनीतिक रूप से निशाना बनाया जा सकता है तो इससे पता चलता है कि वर्तमान शासन असंवेदनशील और राजनीतिक रूप से असुरक्षित है।