मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल पर 2019 का पहला इंटरव्यू दिया जिसमे राम मन्दिर निर्माण को लेकर कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए कोई अध्यादेश तभी लाया जा सकता है, जब इस पर न्यायिक कार्यवाही पूरी हो जाए। हमने अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में कहा है कि इस मुद्दे पर संविधान के दायरे में हल निकलने का प्रयास किया जाएगा। पीएम मोदी के इस बयान के बाद शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘‘भगवान राम कानून से बड़े नहीं हैं’’ क्योंकि उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए किसी अध्यादेश पर निर्णय न्यायिक प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही करेगी। शिवसेना भाजपा की सहयोगी पार्टी है और उसने अयोध्या में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की है। उसने दलील दी है कि मामला दशकों से अदालतों में चल रहा है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने मराठी में ट्वीट किया कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राम मंदिर तत्काल (सुनवाई वाला) मामला नहीं है। मोदी ने भी कुछ अलग नहीं कहा। मैं उन्हें मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए बधाई देता हूं। उन्होंने कहा, ‘‘...(प्रधानमंत्री कहते हैं) राम मंदिर के लिए कोई अध्यादेश नहीं लाएंगे। इसका संवैधानिक अर्थ यह है कि भगवान राम कानून से बड़े नहीं हैं।
शिवसेना ने राममंदिर मुद्दे को लेकर अपना रुख कड़ा कर लिया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पिछले महीने महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में एक रैली में भाजपा के सहयोगी दलों से राम मंदिर मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था। नवंबर में शिवसेना प्रमुख ने राम मंदिर के निर्माण का संकल्प लेने के लिए अयोध्या का दौरा किया था। ये बात अलग है कि शिवसेना के दौरे का विहिप ने ये कहते हुए विरोध किया कि ये आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।