एशिया में भारत और चीन दो ऐसे राष्ट्र हैं जहाँ सबसे ज्यादा मात्रा में कच्चे तेल की खपत होती हैं। अब तक भारत और चीन सऊदी अरब से तेल की खरीद करते आ रहे थे, लेकिन अब पिछले कुछ समय से रूस भारत और चीन को लगातार कच्चा तेल दे रहा है। इससे सऊदी अरब में इन दोनों देशों की तरफ से कच्चे तेल की माँग कम हो गई है। अपने बड़े खरीददारों को पुन: अपनी ओर आकर्षित करने के लिए सऊदी अरब ने एक बड़ा कदम उठाते हुए कच्चे तेल की कीमतों में कमी कर दी है।
सऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको ने अपने फ्लैगशिप अरब लाइट कच्चे तेल की कीमतें एशिया के लिए घटा दी है। सऊदी ने अरब लाइट कच्चे तेल की कीमत पिछले 27 महीनों में सबसे कम कर दी है जिससे भारत को बड़ा फायदा होने वाला है। सऊदी अरब के इस कदम से भारत समेत एशियाई देशों को अब सस्ता तेल मिलेगा और कच्चे तेल के निर्यात की लागत में कमी आएगी।
2 डॉलर प्रति बैरल की कमीअरामको ने फरवरी के लिए अपने कच्चे तेल की शिपमेंट में 2 डॉलर प्रति बैरल की कमी की है। इससे पहले दिसंबर के महीने में जनवरी के शिपमेंट के लिए अरामको ने 1.5 डॉलर प्रति बैरल की कटौती की घोषणा की थी। दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सऊदी अरब ने एशिया समेत उत्तरी अमेरिका, उत्तर-पश्चिम यूरोपीय देशों के लिए भी अपने तेल की कीमत कम कर दी है।
अचानक से कम क्यों करने लगा तेल की कीमतें सऊदी अरबसऊदी अरब ओपेक प्लस देशों के साथ मिलकर लगातार तेल उत्पादन में कटौती कर रहा था ताकि तेल की कीमतें बढ़े लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी तेल की कीमतों में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ। अमेरिका ने कई बार सऊदी अरब से तेल का उत्पादन बढ़ाने को कहा लेकिन जब सऊदी ने ऐसा नहीं किया तब अमेरिका ने खुद अपना तेल उत्पादन भारी पैमाने पर बढ़ा दिया। अमेरिका के साथ-साथ गैर ओपेक देश ब्राजील और मैक्सिको ने भी अपना तेल उत्पादन बढ़ा दिया जिससे तेल बाजार में तेल की पर्याप्त उपलब्धता हो गई और तेल की कीमतें गिरने लगीं।
सऊदी अरब के लिए एशिया एक बड़ा बाजार है। दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता चीन और भारत उसका सबसे अधिक तेल खरीदते हैं। ऐसे में तेल बाजार में अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए सऊदी को तेल की कीमतों में कमी करनी पड़ रही है। सऊदी नहीं चाहता कि अमेरिका और ब्राजील जैसे देश उसके हिस्से का तेल बेचें।
रूस भी है एक बड़ा फैक्टरयूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के
बाद पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों को देखते हुए रूस ने भारत
और चीन को रियायती दरों पर तेल ऑफर किया। भारत युद्ध से पहले रूस से अपने
कुल तेल खरीद का 1% से भी कम तेल खरीदता था लेकिन जब रूस ने सस्ता तेल ऑफर
किया तो भारत ने ताबड़तोड़ खरीद शुरू कर दी।
आज आलम यह है कि रूस
सऊदी अरब को पीछे छोड़कर भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। चीन भी
रूस से भारी मात्रा में तेल की खरीद कर रहा है। इसे देखते हुए सऊदी अरब
अपने तेल की कीमतों में कमी ला रहा है ताकि उसके बड़े खरीददार रहे भारत और
चीन सऊदी से तेल की खरीद बढ़ा दें।