संत शोभन सरकार का निधन, अंतिम दर्शन के लिए 20 हजार लोग जमा

जिस साधु के सपने के आधार पर 2013 में उन्नाव के डौंडिया खेड़ा में आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की टीम 1000 टन सोने के खजाने की खोज में खुदाई करती रही, उस साधु का बुधवार को कानपुर में निधन हो गया। परमहंस स्वामी विरक्तानंद उर्फ शोभन सरकार का बुधवार को निधन हो गया। सरकार के निधन से उनके भक्तों में शोक की लहर है। कानपुर देहात के शिवली कोतवाली क्षेत्र के बैरी में बने उनके आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए भक्त पहुंच रहे हैं। लॉकडाउन के बावजूद उनके अंतिम दर्शन के लिए करीब 20 हजार भक्त जमा हो गए। पुलिस ने भी किसी को रोकने की कोशिश नहीं की। शिवली पहुंचने वालों में बच्चे, बूढे, युवा और महिलाएं सभी शामिल थे। इस दौरान न तो कोरोना वायरस का खौफ दिखा और न ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आए।

शोभन सरकार 2013 में उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उनके एक सपने के आधार पर उन्नाव के डौंडिया खेड़ा में आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की टीम खजाने की खोज में जुट गई थी। शोभन सरकार ने दावा किया था कि उन्हें सपने में राजा राम बख्श सिंह के किले में शिव चबूतरे के पास 1000 टन सोने के दबे होने का पता चला है। इसके बाद ही साधु शोभन सरकार ने सरकार से सोना निकलवाने की बात कही थी। बाबा का उन्नाव के आसपास बहुत प्रभाव था। किले के पास शोभन सरकार का आश्रम भी था। स्थिति तब हास्यास्पद हो गई जब सरकार ने उनके सपने को सच मानते हुए खजाने को खोजने के लिए खुदाई भी शुरू करवा दी। हालांकि कई दिनों तक चली खुदाई के बाद भी खजाना नहीं मिला।

एक साधु के सपने के आधार पर खजाने की खोज पर उस समय केंद्र व प्रदेश सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। तत्कालीन विहिप के नेता अशोक सिंघल ने कहा था कि सिर्फ एक साधु के सपने के आधार पर खुदाई करना सही नहीं है। वहीं, खजाने की खुदाई के दौरान कई दावेदार भी सामने आ गए थे। राजा के वंशज ने भी उन्नाव में डेरा जमा दिया था। वहीं, ग्रामीणों ने भी उस पर दावा किया था। इसके बाद तत्कालीन केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि खजाने पर सिर्फ देशवासियों का हक़ होगा। प्रदेश की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने कहा था कि खजाने से निकली संपत्ति पर राज्‍य सरकार का हक होगा। कई ग्रामीणों ने भी सोने पर मालिकाना हक जताया था। यह खजाना ढौंडिया खेड़ा स्टेट के पच्चीसवें शासक राजा राव राम बक्श सिंह के किले के अवशेषों में दबा बताया गया था।

शोभन सरकार का पूरा नाम है परमहंस स्वामी विरक्तानंद उर्फ शोभन सरकार। इनका जन्म कानपुर देहात के शुक्लन पुरवा में हुआ था। इनकी उम्र करीब 72 साल रही। पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था। कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था। कपड़े के नाम पर वह सिर पर साफा बांधते थे। गेरुए रंग की लंगोट पहनते थे और सिर पर चादर बांधते थे और बदन पर अंगवस्त्र होता था। हैरानी की बात ये है कि किसी आम साधु की तरह इनके माथे पर तिलक नहीं होता और ना चंदन के त्रिपुंड बने होते थे।

कानपुर देहात के शिवली के शोभन मंदिर में बड़े उद्योगपति , आईएएस, आईपीएस और राजनीतिक पार्टियों के नेताओं का आना जाना था । शोभन सरकार के दर्शन करने के बाद ही किसी मांगलिक और अच्छे कार्य की शुरूआत करते थे। शोभन सरकार ने गांव के लोगों के लिए कई तरह के जनहित के काम किए हैं। यही वजह है कि गांववाले भी उन्हें भगवान की तरह मानने लगे थे। शोभन भगवान राम और हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे।