राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की पीएलएफएस की रिपोर्ट के मुताबिक देश में साल 2017-18 में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा थी। अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस रिपोर्ट का खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 1972 के बाद देश में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस रिपोर्ट का खुलासा किया है। दिसंबर महीने में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा मंजूरी मिलने के बाद भी इस रिपोर्ट को जारी नहीं किया गया। इसके बाद आयोग के कार्यकारी चेयरपर्सन सहित दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। सरकार के अंतरिम बजट से कुछ दिन पहले ही यह रिपोर्ट सामने आई है, ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले काफी विवाद हो सकता है। विपक्षी दल रोजगार के आंकड़ों को लेकर लगातार सरकार को निशाना बना रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011-12 में बेरोजगारी दर 2.2 फीसदी थी। नौजवान बेरोजगार सबसे ज्यादा थे, जिनकी संख्या 13 से 27 फीसदी थी। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारों की संख्या ज्यादा थी, जो कि 7.8 फीसदी थी। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 5.3 फीसदी थी।
श्रमबल की भागीदारी दर पिछले सालों की तुलना में कम होने के कारण अधिक लोग कार्यबल से हट रहे हैं। नवंबर 2016 में नोटबंदी के ऐलान के बाद एनएसएसओ का यह पहला वार्षिक घरेलू सर्वेक्षण था। नवंबर 2016 में पीएम मोदी ने 500 और 2000 रुपए के पुराने नोट बंद कर दिए थे। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के चेयरपर्सन पीसी मोहनन सहित दो सदस्यों के इस्तीफा दिए जाने के बाद यह रिपोर्ट सामने आई है, जिससे विवाद पैदा हो सकता है। पीसी मोहनन ने एनडीटीवी से बात करते हुए पुष्टि की थी कि उनके इस्तीफा देने की वजहों में से एक वजह यह भी है कि इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा मंजूरी दिए जाने बाद भी जारी नहीं किया गया। साथ ही पीसी मोहनन ने बताया था कि वह और जेवी मिनाक्षी (जो गैर-सरकारी सदस्य थे) आयोग में साइडलाइन महसूस कर रहे थे और हमें गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। बाद में सरकार ने सफाई देते हुए कहा था कि कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय जुलाई 2017 से दिसंबर 2018 तक की अवधि के लिये तिमाही आंकड़ों का प्रसंस्करण कर रहा है। इसके बाद रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी। साथ ही मंत्रालय ने कहा कि भारत के मजबूत जनसांख्यिकीय लाभ तथा करीब 93 प्रतिशत असंगठित कार्यबल को देखते हुए रोजगार के मानकों को प्राशासनिक सांख्यिकी के जरिये बेहतर करना जरूरी हो जाता है। कहा गया, ‘इसी दिशा में मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा योजना और राष्ट्रीय पेंशन योजना जैसी बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सदस्यों और नये अंशदाताओं का अनुमान जारी करना शुरू किया है।'