रहे सावधान! डराने वाला है ये रिसर्च, प्रदूषण की वजह से भी फैलता है कोरोना

दुनिया में तबाही मचा देने वाले कोरोना (Coronavirus) पर वैज्ञानिक लगातार रिसर्च कर रहे है। वैज्ञानिकों की रिसर्च में कुछ खतरनाक तथ्य भी सामने आ रहे है। हाल ही में Journal of Exposure Science and Environmental Epidemiology में कोरोना पर प्रकाशित एक नई रिसर्च ने चिंता बढ़ा दी है।

Desert Research Institute की ओर से की गई इस रिसर्च में वैज्ञानिकों की टीम ने खुलासा किया है कि कोरोना वायरस के फैलने में प्रदूषण भी ज़िम्मेदार है। जब-जब प्रदूषण बढ़ा, इस वायरस को भी अपने पांव फैलाने का मौका मिला। वैज्ञानिकों की टीम में शामिल Daniel Kiser का कहना है कि रिसर्च में नेवाडा के रेनो इलाके को शामिल किया गया था। जहां कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग के दौरान काफी प्रदूषण फैला। जब यहां प्रदूषण का स्तर उच्च था, तो कोरोना का पॉजिटिविटी रेट (Positivity Rate) भी बढ़ गया। इस इलाके में प्रदूषण बढ़ने के दौरान कोरोना के 18% से अधिक केस दर्ज किए गए।

Reno Gazette Journal से बात करते हुए Daniel kaizer ने बताया कि इस बार पश्चिमी अमेरिका में 80 से ज्यादा जंगल की आग के केस देखे गए। इससे पैदा हुए धुएं और प्रदूषण के न्यूयॉर्क तक पहुंचने के बाद कोरोना के केस बढ़ने लगे। उन्होंने उम्मीद की है कि इस रिसर्च के नतीजे देखने के बाद लोग महामारी के खिलाफ वैक्सीनेशन कराएंगे और मास्क पहनकर खुद को संक्रमण के सामने एक्सपोज़ होने से बचाएंगे।

वैज्ञानिकों ने Washoe County Health District and Renown Health से डेटा इकट्ठा लिया था। जंगल की आग के दौरान वातावरण में 2.5 माइक्रोमीटर से भी छोटे पार्टिकल्स तैर रहे थे। वैज्ञानिकों को इन पार्टिकल्स के बीच नए तरह का कोरोना वायरस मिला।

स्टडी में शामिल University of California के वायु प्रदूषण विशेषज्ञ Kent Pinkerton का कहना है कि ज्यादा तापमान, नमी, वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन जैसी चीज़ें कोरोना के केसेज़ को और बढ़ने में मदद देती हैं।

उनका कहना है कि प्रदूषण के छोटे-छोटे कर्ण के साथ कोरोना वायरस का सांस के ज़रिये शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाता है। टर्की में भी इस पर एक रिसर्च हुआ था, जिसमें वायु प्रदूषण से कोरोना के संबंध को स्थापित किया गया था। स्टडी कहती है कि जंगल की आग से हुए प्रदूषण से कोरोना के केस अमेरिका में बढ़े। ऐसे में दुनिया के बाकी हिस्से में जहां प्रदूषण का स्तर ज्यादा है वहां इस वायरस को बढ़ने का मौका मिलेगा।