पुणे। पुणे के पोर्शे कार हादसा मामले में फजीहत होने के बाद महाराष्ट्र पुलिस अब एक्शन मोड में है। सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक में सवाल उठाए जाने के बाद पुलिस ने पहले तो नाबालिग आरोपी के बिल्डर पिता को गिरफ्तार कर लिया। फिर उस होटल के मालिक और मैनेजरों को भी गिरफ्तार कर लिया, जहां नाबालिगों को कानून ताक पर रखकर शराब परोसी जा रही थी और इसी शराब के नशे में एक नाबालिग रईसजादे ने दो युवा इंजीनियरों की जान ले ली। अब पुणे के आबकारी विभाग ने भी बड़ी कारवाई की है।
आबकारी अधिकरियों ने उस कोजी बार को सील कर दिया है, जहां आरोपी लड़के ने शराब पी थी। उनका कहना है कि कलेक्टर के कहने पर बार सील किया गया है। पुलिस बल की मौजूदगी में आबकारी विभाग ने बार में रखी शराब की बोतलें भी जब्त कर ली हैं। बार पर आरोप है कि यहां आरोपी की उम्र की पुष्टि किए बिना शराब परोसी गई। वहीं पुणे पुलिस कोर्ट में कोजी बार के मालिक, मैनेजर और काउंटर मैनेजर को पेश किया और उनकी 5 दिन की रिमांड की मांग की। इस पर 4 दिन की कस्टडी कोर्ट ने मंजूर कर दी है। तीनों को 24 मई तक पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है।
बार के सीसीटीवी फुटेज से ही यह बात सामने आई थी कि घटना से पहले आरोपी ने अपने दोस्तों संग बैठकर शराब पी थी। जबकि पुणे पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट में दावा किया था की उसने शराब नहीं पी थी, जिसके बाद कोर्ट ने आरोपी को मामूली शर्तों पर जमानत दे दी थी। पुलिस ने मामले में आरोपी के पिता और बार मालिक व मैनेजरों को भी आरोपी बनाया है। वहीं अब जब मामले ने तूल पकड़ा तो महाराष्ट्र सरकार को भी हस्तक्षेप करना पड़ा है। डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने खुद इस मामले का संज्ञान लिया है और कार्रवाई की बात कही है। इसके साथ ही वह इस केस को लेकर पुलिस कमिश्नर से मिलने भी पहुंचे।
डिप्टी सीएम फड़णवीस ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा की गई कार्यवाही हमारे लिए चौंकाने वाली है। हम ऊपरी अदालत में हर चीज की समीक्षा करेंगे। हम पुनरीक्षण आदेश की उम्मीद कर रहे हैं, यदि यह काम नहीं करता है तो हम हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। निर्भया केस की तरह जिस तरह आरोपी को बालिग बताया गया, हम तदनुसार आगे बढ़ेंगे।
पुणे पुलिस अब नाबालिग आरोपी पर भी बालिग की तरह केस चलाने की तैयारी कर रही है। पुलिस ने कोर्ट से नाबालिग के खिलाफ भी व्यस्क के रूप में केस चलाने की अनुमति मांगी है। पुलिस ने पहले कहा था कि रविवार को ही जुवेनाइल बोर्ड के समक्ष एक आवेदन दायर किया था, जिसमें किशोर पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने और उसे निगरानी गृह में भेजने की अनुमति मांगी थी। चूंकि यह किशोर न्याय अधिनियम
की धारा 2 के तहत परिभाषित एक जघन्य अपराध है, लेकिन याचिका खारिज कर दी गई। इस आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालत में पुलिस अपील करने जा रही है।