हर साल 14 करोड़ रूपये खर्च होते है कश्मीरी अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर, हमेशा तैनात रहते है 600 जवान

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने मीरवाइज उमर फारूक (Mirwaiz Umar Farooq) समेत पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने का फैसला लिया है। यह जानकारी प्रशासन के एक अधिकारी ने दी। अधिकारियों ने बताया कि इन पांच नेताओं और अन्य अलगाववादियों को किसी भी चीज की आड़ में सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी। इस लिस्ट में मीरवाइज़ उमर फारूक के अलावा अब्दुल ग़नी बट्ट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शब्बीर शाह शामिल हैं। प्रशासन ने यह कदम पुलवामा आतंकी हमले (Pulwama Attack) के बाद उठाया है। पुलवामा में गुरुवार को सीआरपीएफ (CRPF)के एक काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था जिसमें इस अर्धसैनिक बल के कम से कम 40 जवान शहीद हो गए थे और कई घायल हुए थे। बता दें कि बीते एक साल में इन नेताओं की सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने 14 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम खर्च की थी।

600 जवान करते हैं सुरक्षा

अलगाववादी नेता मीरवाइज फारूख और अब्दुल गनी लोन पर साल 1990 और 2002 में जानलेवा हमला हुआ था। जिसके बाद सरकार ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने का फैसला लिया था। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों को माने तो सरकार इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर हर साल करीब 14 करोड़ रुपए खर्च कर रही थी।

इसमें से 11 करोड़ सुरक्षा के लिए, 2 करोड़ विदेशी दौरे पर और 50 लाख गाड़ियों पर खर्च लिए जाते थे। इन नेताओं की सुरक्षा के लिए हर वक़्त 600 से ज्यादा जवान तैनात रहते थे। साल 2018 में जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2008 से लेकर 2017 तक अलगाववादियों को सुरक्षा मुहैया करवाने पर 10.88 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

वही पुलवामा आतंकी हमले के बाद सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए इन अलगाववादियों को मुहैया कराई गई सुरक्षा और दूसरे वाहन वापस लिए गए हैं। इसमें कहा गया है, किसी भी अलगाववादी को सुरक्षाबल अब किसी सूरत में सुरक्षा मुहैया नहीं कराएंगे। अगर उन्हें सरकार की तरफ से कोई अन्य सुविधा दी गई है, तो वह भी तत्काल प्रभाव से वापस ली जाती है। पुलवामा हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) से संपर्क रखने वालों को दी जा रही सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी। हालांकि सुविधा वापस लेने के फैसले पर मीरवाइज ने कहा था कि सरकार ने खुद ही अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा देने का फैसला किया था। हमने कभी इसकी मांग नहीं की थी।

जम्मू-कश्मीर के एक अधिकारी ने बयान जारी किया है कि ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक, शब्बीर शाह, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन, फजल हक कुरैशी और अब्दुल गनी बट को अब किसी तरह का सुरक्षा कवर नहीं दिया जाएगा। इन नेताओं को दी जाने वाली सरकारी गाड़ियां और अन्य सुविधाएं छीन ली गई हैं।

पाकिस्तान समर्थक माने जाने वाले अलगाववादी नेता- सैयद अली गिलानी और मोहम्मद यासीन मलिक ने पहले ही सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया था। गिलानी फिलहाल नजरबंद हैं लेकिन सरकार ने अलगाववादियों को दी जाने वाली सुरक्षा को गैरजरूरी करार देकर उनसे सभी सुविधाएं वापस ले ली हैं। सरकार के इस फैसले के बाद अब अलगाववादियों को कोई कवर या सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई जाएगी साथ ही उनसे सरकारी गाड़ियां भी वापस ले ली गई हैं।