जयपुर। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए हर साल करोड़ों की राशि खर्च की जाती है, लेकिन हर बार गर्मियों के शुरू होते ही पीने के पानी का संकट शुरू हो जाता है। वहीं, दूसरी ओर मॉनिटरिंग के अभाव में उपभोक्ताओं के पानी के मीटर भी बंद पड़े हैं और जलदाय विभाग पुराने बिलों के आधार पर उपभोक्ता से राशि वसूल रहा है।
राजधानी जयपुर शहर में करीब दो लाख से अधिक पानी के मीटर बंद हैं। मीटरों को चरणबद्ध तरीके से बदलने की योजना तैयार की गई, लेकिन अभी उपभोक्ताओं को फायदा नहीं मिल सका है। अब चिह्नित इलाकों में 11 हजार से अधिक स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी है।
जयपुर शहर में कुल 5,15,755 पेयजल उपभोक्ता हैं। इनमें नगर वृत उत्तर में 2,35,913 व नगर वृत दक्षिण में 2,79,842 पेयजल कनेक्शन है। कुल कनेक्शनों में से 2,09,023 मीटर खराब है, जिसमें नगर वृत उत्तर में 1,23,710 व नगर वृत दक्षिण में 85,313 कनेक्शन शामिल हैं।
यूं बनाया जाता है बिलउपभोक्ता के पेयजल मीटर खराब होने की स्थिति में राजस्थान वाटर सप्लाई नियम 1967 के तहत एक या एक से अधिक आधार पर गणना कर बिल जारी किए जाते हैं, इसमें पेयजल मीटर खराब होने से ठीक पहले वाले महीने की औसत पर तथा पूर्वगामी तीन महीनों की औसत पर। दूसरा गत वर्ष की तदनुरूप अवधि की खपत पर। इनमें से जो भी जल उपभोग अधिक हो, उसके आधार पर पेयजल बिल जारी किया जाता है।
यह होगी नई योजनाशहर की पेयजल व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अमृत-2 के तहत 567 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके तहत शहर में पांच करोड़ लीटर पानी संग्रहण क्षमता के 17 जलाशय और तीन टंकियों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही जर्जर पानी की लाइनों को बदला जाएगा। चिह्नित इलाकों में 11,400 पानी के स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। ग्रेटर निगम क्षेत्र में 423 करोड़ और हेरिटेज निगम क्षेत्र में 144 करोड़ का बजट खर्च होगा। पीएचईडी के एसीएस भास्कर ए. सांवत के अनुसार इन परियोजनाओं के पूर्ण होने से शहर की पेयजल समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकेगा।