स्वदेशी होगी PM मोदी की बुलेट ट्रेन, 'मेक इन इंडिया' के तहत कोच बनाने की तैयारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना 'बुलेट ट्रेन' को लेकर काम तेजी से जारी है। PM मोदी चाहते हैं कि देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर देश को यह तोहफा दिया जाए। यह प्रोजेक्ट तक़रीबन 1 लाख 5 हजार करोड़ का है जिसे 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। देश की पहली बुलेट ट्रेन मुंबई-अहमदाबाद के बीच जल्द ही चलने वाली है। इसके 2022 तक शुरू होने की संभावना है। इस प्रोजेक्ट से जुड़ी देश की सबसे बड़ी रेलवे कोच बनाने वाली कंपनी, BEML के चेयरमैन डीके होटा ने कहा कि हमने छह बुलेट रैक (60 कोच) को घरेलू स्तर पर बनाने के लिये अपना अनुरोध जमा कर दिया है। इसके लिए जापानी कंपनी हिताची का सहयोग लिया जाएगा। जापान की दो कंपनियां हिताची और कावासाकी अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना का मुख्य ठेका लेने के लिए बोली लगाएंगी।

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए 250 टन वजन के 20 स्लीपर स्लैब ट्रैक जापान से लाए गए हैं। अहमदाबाद-मुंबई के बीच करीब 508 किलोमीटर के ट्रैक पर बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी। 200 मीटर का ट्रैक बनाने का काम भी हाई स्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट वडोदरा में चल रहा है। इस ट्रैक में 20 स्लीपर ट्रैक स्लैब्स लगाए जाएंगे। यहां छात्रों और रेल कर्मियों को ट्रेनिंग दी जायेगी। बुलेट ट्रेन की डेडलाइन अगस्त 2022 रखी गई है। बुलेट ट्रेन के लिए अहमदाबाद से लेकर मुंबई तक किसानों की जमीन अधिगृहित की जा रही है। इसमे 198 गांवों में से 164 गांवों की जमीन को अधिगृहित करने का कार्य चालू है। 34 गांवों के किसानों ने कोर्ट में मामला दायर किया है। भारत में बनने वाले उच्च गति वाले बुलेट ट्रेन नेटवर्क की लंबाई 508 किलोमीटर होगी। इसमें 12 स्टेशन होंगे। इसका करीब 350 किलोमीटर हिस्सा गुजरात में और 150 किलोमीटर महाराष्ट्र में होगा। हर बुलेट ट्रेन में 10 कोच होंगे जिसमें एक बिजनेस क्लास और नौ सामान्य श्रेणी के होंगे। इस रेल का न्यूनतम किराया 250 रुपये और अधिकतम 3,000 रुपये प्रति व्यक्ति रहने का अनुमान है।

2023 तक पूरी होनी है परियोजना

सहयोगी वेबसाइट ज़ीबिज़ के मुताबिक, संयुक्त बैठक में हिताची ने संकेत दिया है कि, यदि परियोजना को 2023 तक पूरा करना है तो एक से ज्यादा रैक (दस डिब्बे) भारत में बनाना संभव नहीं हो पाएगा। होटा ने कहा, "घरेलू स्तर पर तैयार किये जाने के इस प्रक्रिया में हम ज्यादा काम जो कि देश के लिये फायदे का सौदा हो सकता है और बुलेट ट्रेन परियोजना में हमारे निवेश को व्यावहारिक बनायेगा।"

BEML डिब्बों के अंदर का काम करना चाहती है

इस परियोजना का मूल्य 15 अरब डॉलर है। इसमें 24 रैक यानी 240 कोच शामिल है और यह मुंबई से अहमदाबाद के बीच दौड़ेगी। BEML डिब्बों के अंदर के काम का पूरा अनुबंध चाहती है। इसे तकनीकी भाषा में तृतीय स्तर का स्वदेशीकरण कहा जाता है। कंपनी के अधिकारी विनिर्माण के मामले में वस्तुस्थिति का जायजा लेने के लिए जापान में हिताची के कारखाने तक हो आए हैं।

BEML के डिब्बे के कारोबार में आई तेजी

BEML मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत बुलेट ट्रेन के डिब्बों को देश में बनाने पर जोर दे रहा है। पिछले कुछ समय में BEML के रेलवे और मेट्रो के डिब्बे बनाने के कारोबार में काफी तेजी आई है। कंपनी हर साल रेलवे को लगभग 800 डिब्बे और मेट्रो को लगभग 300 डिब्बे सप्लाई कर रही है। कंपनी को मुम्बई मेट्रो कॉरिडोर के लिए 3015 करोड़ रुपये का एक ठेका भी मिला है। कंपनी मुम्बई मेट्रो के लिए 378 मेट्रो कार बनाएगी।