एनडीए सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 1999 में आया, मात्र एक वोट से गिर गई थी वाजपेयी सरकार

लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार सुबह 11 बजे से चर्चा होगी। इस दौरान अगर वोटिंग होती है, तो मौजूदा सीटों के लिहाज से भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए आसानी से जीत जाएगी। कांग्रेस और विपक्षी दलों की सीटें मिलकर भी भाजपा से कम हैं। अंकों के गणित के हिसाब से लोकसभा में एनडीए पूरी तरह से सेफ जोन में है। मौजूदा समय में लोकसभा में कुल 536 सदस्य हैं। इसमें दो नामित सदस्य भी शामिल हैं जबकि 9 सीट खाली हैं। यानी स्पीकर को हटा दें तो कुल संख्या 535 हो जाती है। लिहाजा, बहुमत के लिए 268 सदस्य चाहिए। लोकसभा में दलगत स्थिति की बात की जाए तो बीजेपी के पास कुल 273 (स्पीकर को छोड़कर) सदस्य हैं। एनडीए के कुल आंकड़ों को देखें तो यह 358 तक पहुंच जाता है। यानी सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल है। लिहाजा, अविश्वास प्रस्ताव से तो बीजेपी पहले ही निश्चिंत है। सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को होने वाले मत विभाजन में सरकार को 314 सांसदों का समर्थन मिलेगा।

अविश्वास प्रस्ताव को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष, दोनों ही इसे लेकर कोई मौका गंवाना नहीं चाह रहे हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर रणनीति तैयार करने के लिए गुरुवार को जहां पीएम मोदी अपने मंत्रियों से मिले, वहीं सोनिया गांधी ने कांग्रेस की संसदीय दल की बैठक बुलाई है। मोदी सरकार जहां अविश्वास प्रस्ताव को गिरा विधानसभा चुनावों से पहले नैतिक जीत दिखाना चाहती है, वहीं विपक्ष इसी बहाने सरकार को मुद्दों पर घेरना चाहता है।

सबसे कम वोट से हारे थे वाजपेयी

एनडीए सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 1999 में आया। तब वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी। वाजपेयी पहले ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जो इतने कम अंतर से हारे। 1996 में भी वाजपेयी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, लेकिन वोटिंग से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। 2003 में कांग्रेस ने एक बार फिर वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन, तब वाजपेयी के पास पर्याप्त बहुमत था।

लोकसभा में यह 27वां अविश्वास प्रस्ताव

लोकसभा में इससे पहले कुल 26 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए हैं। शुक्रवार को 27वें प्रस्ताव पर चर्चा होगी। पहला अविश्वास प्रस्ताव 1963 में जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ आचार्य कृपलानी ने पेश किया था। इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ रिकॉर्ड 15 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए थे। 1990 में वीपी सिंह, 1997 में देवेगौड़ा, 1999 में वाजपेयी फ्लोर टेस्ट हारे। इस तरह तीन मौकों पर वोटिंग के बाद सरकारें गिर गईं।

अविश्वास प्रस्ताव पर कुछ खुलकर साथ तो कुछ ने नहीं खोले अभी पत्ते

- अमित शाह और उद्धव ठाकरे की फोन पर बातचीत के बाद शिवसेना की तरफ से मोदी सरकार को समर्थन की खबर सामने आई। शिवसेना ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर कहा है कि वह शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार का समर्थन करें। सूत्रों का कहना है कि शिवसेना अविश्वास प्रस्ताव में तो बीजेपी का साथ देगी लेकिन दोनों 2019 का चुनाव साथ नहीं लड़ेंगी।

- डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने साफ कर दिया है कि वो टीडीपी द्वारा लाए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि हम एआइएडीएमके से भी संसद में अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का अनुरोध करते हैं।

- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलनीसामी ने कहा है कि एआईएडीएमके अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगी। पार्टी का कहना है कि कावेरी मुद्दे पर किसी ने साथ नहीं दिया इसलिए यह फैसला लिया गया है।

- ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी अविश्वास प्रस्ताव के साथ है। टीएमसी ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है।

- वैसे तो तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस मोर्चा बनाने में जुटी है लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर अभी पार्टी का स्टैंड खुलकर सामने नहीं आया है। हालांकि सूत्रों की मानों तो टीआरएस अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगी।

- अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा और वोटिंग को लेकर बीजू जनता दल (BJD) ने अपने सभी सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है। बीजू जनता दल ने व्हिप में कहा है कि शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए संसद में सभी सांसदों का मौजूद रहना अनिवार्य है।

लोकसभा में वोटों की गणित

सीटें: लोकसभा की कुल संख्या 545, नॉमिनेटेड 2, खाली 11

मौजूदा संख्या: 534, बहुमत के लिए जरूरी : 268