फर्रुखाबाद के बाद, अब नासिक में मौत का निवाला बन रहे है बच्चे

एक ओर डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है वही दूसरी तरफ उनकी लापरवाहियो की हर दिन नयी खबर सामने आती दिख रही है अभी नासिक सिविल अस्पताल के विशेष शिशु देखभाल खंड में पिछले महीने 55 शिशुओं की मौत हो गई, लेकिन प्रशासन ने चिकित्सकीय लापरवाही के कारण मौत होने से इनकार किया है. नासिक के सिविल सर्जन सुरेश जगदले ने बताया कि अप्रैल के बाद से खंड में 187 शिशुओं की मौत हुई. पिछले महीने 55 शिशुओं की जान गई.

जगदले ने कहा, अधिकतर मौतें निजी अस्पतालों से शिशुओं को अंतिम स्थिति में लाए जाने के कारण हुईं और उनके बचने की गुंजाइश बहुत कम थी. साथ ही समय पूर्व जन्म और श्वसन तंत्र में कमजोरी के कारण भी मौतें हुईं. सिविल सर्जन ने कहा कि किसी भी मामले में चिकित्सकीय लापरवाही नहीं हुई.

उन्होंने कहा, ‘‘18 इनक्यूबेटर हैं और हमें जगह के अभाव में दो कभी-कभी तीन बच्चों को एक ही इनक्यूबेटर में रखना पड़ता है.’’ स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत ने कहा, ‘‘यह तथ्य है कि शिशुओं को अंतिम स्थिति में सरकारी अस्पताल लाया गया.’’ उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी अस्पतालों में जल्द ही एक ‘‘प्रोटोकॉल’’ का पालन होगा.

गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फर्रुखाबाद में दर्जनों बच्चों की मेडिकल लापरवाही के चलते मौत हो गई. बच्चों की मौत पर खूब सियासी घमासान मचा. गोरखपुर में बच्चों की मौत के लिए ऑक्सीजन की कमी को जिम्मेदार बताया गया, लेकिन प्रशासन ने इससे इंकार किया.
चाहे गलती किसी की भी हो बच्चो की हो रही मौते चिंता का विषय है आज कोई भी परिजन अपने बच्चो को अस्पताल में ले जाने के पहले इस चिंता से घिर जाता है की कही किसी ओर की लापरवाही की भेट उनका बच्चा न चढ़ जाये. सरकार को इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने चाइये ताकि जनता का यह भय दूर किया जा सके.