कृषि मंत्री ने कहा- किसान संगठनों ने हमारे प्रस्‍ताव पर नहीं दिया जवाब, राकेश टिकैत बोले- अभी बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है...

नए कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच जारी गतिरोध के जल्‍द खत्‍म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एशिया पैसिफिक रूरल एंड एग्रीकल्चर क्रेडिट एसोसिएशन द्वारा नाबार्ड के सहयोग से क्षेत्रीय नीति फोरम की बैठक में गुरुवार को कहा कि सरकार कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के साथ वार्ता करने के लिए तैयार है लेकिन उन्‍होंने अभी हमारे प्रस्‍ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उधर, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार जब तक हमारी बात नहीं मानेगी तब तक आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा। उन्‍होंने यह भी कहा कि सरकार से अभी बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है। टिकैत ने यह भी कहा कि उनकी तैयारी लंबी है।

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार ने दो नए कृषि सुधार बिल लाए हैं और आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया है। इनसे कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि नए कृषि कानून किसानों की आमदनी बढ़ाएंगे जिससे कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। सरकार ने प्रधानमंत्री किसान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत लगभग 1.75 करोड़ किसानों के बैंक खातों में लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपये डाले हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए पक्‍का विजन है। सरकार समझती है कि किसानों की समृद्धि के बिना अच्छी अर्थव्यवस्था को विकसित नहीं किया जा सकता है। इन नए कृषि कानूनों से किसानों को फायदा होगा। ये कानून भारतीय किसानों के लिए क्रांतिकारी हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री ने एकबार फिर दोहराया कि केंद्र सरकार किसानों के साथ कभी भी बातचीत करने के लिए तैयार है लेकिन आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की ओर से सरकार के प्रस्‍ताव पर अभी तक कोई फीडबैक नहीं आया है।

वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक सरकार हमारी बात नहीं मानेगी आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि सरकार से अभी बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है... हमारी तैयारी लंबी है।

मालूम हो कि सरकार ने किसानों को प्रस्‍ताव दिया है कि यदि आंदोलन कर रहे किसान नेता नए कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और इस दौरान संयुक्त समिति के माध्यम से मतभेद सुलझाने की पेशकश पर विचार करने को तैयार हों तो वह उनके साथ बातचीत को तैयार है। सरकार और असंतुष्‍ट किसानों नेताओं के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है।