CAA लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मुस्लिम संगठन, बताया भेदभावपूर्ण

नई दिल्ली। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के कार्यान्वयन को रोकने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक तत्काल आवेदन दायर किया। मुस्लिम निकाय की कानूनी चुनौती केंद्र सरकार द्वारा कानून पारित होने के चार साल बाद सीएए के कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित करने के एक दिन बाद आई है। अपनी याचिका में, मुस्लिम निकाय का तर्क है कि सीएए मुसलमानों के खिलाफ असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है।

मंगलवार को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) की ओर से कहा गया, यह कानून मुस्लिमों से भेदभाव करता है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पेडिंग है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए था। आईयूएमएल की ओर से देश की सबसे बड़ी अदालत में दी गई याचिका में सीएए को असंवैधानिक करार दिया गया है। मुस्लिम संगठन की तरफ से इस दौरान सीएए पर स्टे लगाने की मांग भी की गई है।

विवादों में रहे सीएए को लागू किए जाने के बाद अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता दी जा सकेगी। सीएए के नियम जारी हो जाने के साथ ही मोदी सरकार इन तीन देशों के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी। हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 के पहले इसके ऐलान को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं।

गौरतलब है कि 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित होने के बाद सीएए के विरोध में पूरे भारत में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इन विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में राजधानी दिल्ली शामिल रही, खासकर जामिया मिलिया इस्लामिया और शाहीन बाग, जहां महीनों तक प्रदर्शन जारी रहा।

विरोध प्रदर्शनों के अलावा, सीएए ने सांप्रदायिक तनाव में भी योगदान दिया, जिसके कारण 2020 की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली में हिंसक दंगे हुए। दंगों के परिणामस्वरूप कई लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए।

विरोध के बावजूद, केंद्र सोमवार को सीएए के कार्यान्वयन के लिए आगे बढ़ा। गजट अधिसूचना के अनुसार, नियम तुरंत प्रभाव से लागू हो गये।

इस तरह मिलेगी गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, ये नियम सीएए-2019 के तहत पात्र व्यक्तियों को भारत की नागरिकता देने के लिए एप्लीकेशन देने में सक्षम बनाएंगे। आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में जमा किए जाएंगे, जिसके लिए वेब पोर्टल भी तैयार किया गया है।