RBI ने रेपो रेट 0.25% घटाया, कर्ज लेना होगा सस्ता

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी क्रेडिट पॉलिसी का एलान किया है, जिसमें रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कटौती की गई है। रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। इसे 6 फीसदी से घटाकर 5.75 फीसदी कर दिया गया है। रेपो रेट घटने से लोन सस्ता हो सकता है। रिजर्व रेपो रेट और बैंक रेट को भी एडजस्ट किया है। इसे क्रमश: 5.50 फीसदी और 6.0 फीसदी किया गया है। केंद्रीय बैंक द्वारा यह लगातार तीसरा मौका है, जब उसने ब्याज दर घटाई हैं।

दरअसल, रेपो रेट में कटौती से बैंकों के धन की लागत कम होगी और वह आगे अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे पायेंगे। आने वाले दिनों में इससे होम लोन, ऑटो लोन और दूसरे कर्ज सस्ते हो सकते हैं। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे वाणिज्यक बैंकों को अल्पावधि के लिये नकदी उपलब्ध कराता है। एमपीसी के सभी 6 सदस्यों ने रेट कट और भूमिका में बादलाव का निर्णय सर्व सम्मति से लिया।

जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7% किया

रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिये जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया। रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख को तटस्थ से नरम किया। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्य रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती और नीतिगत रुख में बदलाव के पक्ष में रहे। मौद्रिक नीति समिति की बैठक का ब्योरा 20 जून 2019 को जारी किया जाएगा। समिति की अगली बैठक 5-7 अगस्त 2019 को होगी।

पहली छमाही में महंगाई दर 3-3.1% के बीच रहने का अनुमान

रिजर्व बैंक ने अप्रैल से सितंबर की छमाही में महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 3-3.1% कर दिया है। अप्रैल में 2.9 से 3% की उम्मीद जताई थी। ब्याज दरें तय करते वक्त आरबीआई खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। यह लगातार आरबीआई के 4% के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। अप्रैल में यह 2.92% रही थी।

आरटीजीएस और एनईएफटी पर लगने वाले चार्ज खत्म

क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने आरटीजीएस और एनईएफटी पर लगने वाले चार्ज खत्म करने का फैसला किया है। आरबीआई ने बैंकों को कहा है कि इनका फायदा ग्राहकों को देना सुनिश्चित करें। इतना ही नहीं बैठक में एटीएम इंटरचेंज चार्ज (एक बैंक का एटीएम दूसरे में इस्तेमाल ) को लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी, जिसका नेतृत्व आईबीए के सीईओ करेंगे। वहीं, एटीएम चार्ज फीस को लेकर निर्णय किया जाएगा। अपनी पहली मीटिंग के दो महीने के अंदर कमेटी को अपनी रिपोर्ट सौपनी होगी।

महंगाई दर RBI के अनुमान से नीचे

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई दर RBI के अनुमान से नीचे हैं। वहीं, देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट है। ऐसे में देश की आर्थिक ग्रोथ को पटरी पर लाने के लिए ब्याज दरें घटाना बेहद जरूरी है। ब्याज दरें घटाने का मतलब है कि अब बैंक जब भी आरबीआई से फंड (पैसे) लेंगे, उन्हें नई दर पर फंड मिलेगा। सस्ती दर पर बैंकों को मिलने वाले फंड का फायदा बैंक अपने उपभोक्ता को भी देंगे। यह राहत आपके साथ सस्ते कर्ज और कम हुई ईएमआई के तौर पर बांटा जाता है। इसी वजह से जब भी रेपो रेट घटता है तो आपके लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है। साथ ही जो कर्ज फ्लोटिंग हैं उनकी ईएमआई भी घट जाती है।

आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर पर

बता दें कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहली मोनेटरी पालिसी समीक्षा है। जानकारों का मानना है कि 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर पर आ गई, जिसके मद्देनजर रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बढ़ गई थी।

बता दें कि मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ रेट घटकर 5.8 फीसदी पर आ गई है जो 5 साल में सबसे कम है। मुद्रास्फीति हालांकि अप्रैल में बढ़कर 2.92 फीसदी हो गई है।