#MeToo के आरोपों से घिरे अकबर ने दिया इस्तीफा, मानहानि मामले में आज होगी सुनवाई, मामले से जुड़ी कुछ खास बातें

यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, एमजे अकबर ने यह इस्तीफा आरोप लगने के तुरंत बाद नहीं दिया है, बल्कि पहले तो उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ पत्रकार रमानी पर मानहानि का मुकदमा किया, उसके बाद बात को आगे बढ़ता देख उन्होंने इस्तीफे का फैसला किया। #MeToo अभियान के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे एमजे अकबर की इस मामले में बृहस्पतिवार को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई होनी है। दूसरी तरफ मंत्री के खिलाफ गवाही देने वाली महिला पत्रकारों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। अब प्रिया रमानी समेत इस मामले में गवाही देने वाली पत्रकारों की संख्या 20 हो गई है। इससे पहले एजमे अकबर ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि वह न्याय के लिए व्यक्तिगत लड़ाई लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि अब वह निजी तौर पर केस लड़ेंगे। उनहोंने पीएम मोदी और सुषमा स्वराज का शुक्रिया अदा भी किया।

- मंगलवार को पत्रकार तुषिता मेहता ने आरोप लगाया, ‘1990 के दशक में अकबर ने होटल के एक कमरे में मुझे बुलाया था। उस समय वह टेलीग्राफ के संपादक थे और मैं ट्रेनी थी। मेरी उम्र 22 साल थी। हैदराबाद में डेक्कन क्रोनिकल में काम करने के दौरान अकबर ने दो बार मेरा यौन शोषण किया।’

- एक डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए लेख लिखने वाली कारोबारी स्वाति गौतम ने भी मंगलवार को ही आरोप लगाया कि एक बार अकबर ने मुझे भी होटल के कमरे में बुलाया था। उस वक्त मैं कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ती थी और उन्हें बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित करने गई थी। उस समय वह केवल तौलिये में थे। कमरे में मेरे घुसते ही उन्होंने मेरी तरफ गिलास लुढ़काते हुए अपने लिए ड्रिंक बनाने को कहा। शुरू में तो मैं अवाक रह गई लेकिन तत्काल संभली और झुकते हुए गिलास उनकी तरफ लुढ़का दिया। उन पर कड़ी नजर डालते हुए उस कमरे से बाहर निकल गई।

- अकबर पर अब तक 16 महिलाएं मीटू मुहिम के तहत यौन उत्पीड़न का आरोप लगा चुकी हैं। महिला प्रेस कॉर्प्स के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर इस मामले पर सरकार के ढुलमुल रवैये को लेकर नाराजगी जताई है। एशियन ऐज में काम कर चुकीं महिला पत्रकारों ने साझा बयान जारी कर कहा है कि अकबर के खिलाफ लड़ाई में रमानी अकेली नहीं हैं। उन्होंने अदालत में भी अपने बयान दर्ज कराने का अनुरोध किया है। अकबर के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिला पत्रकारों की संख्या अब 20 हो गई है।

- एमजे अकबर ने इस्तीफा के बाद बयान दिया कि, ‘चूंकि मैंने निजी तौर पर कानून की अदालत में न्याय पाने का फैसला किया है, इसलिए मुझे यह उचित लगा कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूं।’ बयान में उन्होंने आगे कहा है ‘मैं, अपने खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को निजी तौर पर चुनौती दूंगा। अत: मैं विदेश राज्य मंत्री पद से त्यागपत्र देता हूं।’

- एमजे अकबर ने इस्तीफा के बाद बयान दिया कि, ‘चूंकि मैंने निजी तौर पर कानून की अदालत में न्याय पाने का फैसला किया है, इसलिए मुझे यह उचित लगा कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूं।’ बयान में उन्होंने आगे कहा है ‘मैं, अपने खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को निजी तौर पर चुनौती दूंगा। अत: मैं विदेश राज्य मंत्री पद से त्यागपत्र देता हूं।’

- राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से एमजे अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। राष्ट्रपति भवन ने यह जानकारी दी। राष्ट्रपति भवन से जारी एक बयान में बताया गया, ‘‘भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 75 के उपबंध (2) के तहत प्रधानमंत्री की सलाह पर केन्द्रीय मंत्री परिषद से एमजे अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।’’ इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। स्थापित प्रक्रिया के अनुरूप उसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया।

- राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से एमजे अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। राष्ट्रपति भवन ने यह जानकारी दी। राष्ट्रपति भवन से जारी एक बयान में बताया गया, ‘‘भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 75 के उपबंध (2) के तहत प्रधानमंत्री की सलाह पर केन्द्रीय मंत्री परिषद से एमजे अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।’’ इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। स्थापित प्रक्रिया के अनुरूप उसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया।

- राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से एमजे अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। राष्ट्रपति भवन ने यह जानकारी दी। राष्ट्रपति भवन से जारी एक बयान में बताया गया, ‘‘भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 75 के उपबंध (2) के तहत प्रधानमंत्री की सलाह पर केन्द्रीय मंत्री परिषद से एमजे अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।’’ इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। स्थापित प्रक्रिया के अनुरूप उसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया।

- पिछले लगभग 10 दिनों से कम से कम 20 महिलाओं ने आगे आकर उन दिनों अकबर के हाथों कथित यौन उत्पीड़न के अपने अनुभवों को साझा किया था जब वह कई प्रमुख प्रकाशनों में संपादक के पद पर थे। इन आरोपों के बाद विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ कई मीडिया संगठनों ने भी उनके इस्तीफे की मांग की थी। कई शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों ने भी तत्काल उनके इस्तीफे का स्वागत किया।

- उधर कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने यौन शोषण के आरोपों से घिरे एमजे अकबर के विदेश राज्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने को 'सच की ताकत की जीत' करार दिया और कहा कि वह उन महिलाओं को सलाम करती है जिन्होंने आवाज उठाई थी।

- कई शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों ने भी तत्काल उनके इस्तीफे का स्वागत किया। मानहानि का मुकदमा झेल रही महिला पत्रकार ने अकबर के इस्तीफ को 'सच्चाई की जीत' बताया। उन्होंने ट्वीट किया, 'एम जे अकबर के इस्तीफे से महिलाओं के रूप में हम सही साबित हुए है। मुझे उस दिन का इंतजार है जब मुझे अदालत में न्याय मिलेगा।'

- अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री के पद से एमजे अकबर का इस्तीफा देश में चल रहे 'मीटू' आंदोलन की बड़ी जीत है। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह इस्तीफा देर से आया है और नरेंद्र मोदी सरकार ने चेहरा बचाने की कोशिश में यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा- 'अकबर का इस्तीफा पहले हो जाना चाहिए था। यह देर से आया इस्तीफा है।

- वहीं आम आदमी पार्टी (आप) के प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा,'अकबर का इस्तीफा ही पर्याप्त नहीं है और उनके खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उनके खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया को शुरू किया जाना चाहिए।'

- द एशियन एज अखबार की रेजिडेंट एडिटर सुपर्णा शर्मा ने कहा कि वह इस्तीफे का स्वागत करती है। उन्होंने कहा,'यह हमारे लिए बड़ा क्षण है। आरोपों की पुष्टि होती है। हालांकि उनके दिल्ली पहुंचते ही यह कदम उठाया जाना चाहिए था, लेकिन अब कम से कम शक्ति असंतुलन नहीं होगा और यह सरकार और रमानी के बीच लड़ाई नहीं होगी।'

- समाजवादी पार्टी (सपा) ने अकबर के इस्तीफे को देर से उठाया गया कदम बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आरोप लगने के तुरंत बाद उन्हें मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर देना चाहिये था। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, 'लोकतंत्र में लोकलाज का महत्वपूर्ण स्थान है। लोकलाज के बिना 'लोकराज' नहीं चलता है। देर से दिया गया अकबर का इस्तीफा यह साबित करता है कि भाजपा सरकार ने लोकलाज भी त्याग दी है।'

- भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने 'मी टू' अभियान को लेकर यहां मीडिया के सवाल पर कहा, 'मेरी पार्टी के अनेक नेताओं ने इस मामले में पहले ही बयान दे दिया है। भाजपा उपाध्यक्ष ने कहा, 'अकबर अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। तमाम आरोपों की जांच होगी।

​- कांग्रेस की एक और नेता रागिनी नायक ने कहा, 'एमजे अकबर का देर से आया इस्तीफा उन महिलाओं की ओर से लगातार बनाए गए दबाव का परिणाम है, जिन्होंने अपनी भयावह और असहज करने वाली कहानियां साझा की थीं। यह मी टू अभियान पर कांग्रेस पार्टी के रुख की भी अभिपुष्टि है।' उन्होंने कहा, 'आखिरकार कई महिलाओं के साथ गलत व्यवहार के आरोपी अकबर ने इस्तीफा दे दिया है तो ऐसे में क्या प्रधानमंत्री बोलने की हिम्मत करेंगे?'

- प्रिया रमानी का समर्थन करने वाली मीनल बघेल ने अकबर के पद त्याग को लंबे समय से बकाया बताया, जबकि लेखिका किरण मनराल ने कहा कि न्याय के लिए उन्हें अभी लंबा रास्ता तय करना है। मुंबई मिरर की संपादक बघेल ने एक कहा, 'यह अच्छा काम है और हम इसका स्वागत करते हैं। इस्तीफा पहले ही हो जाना चाहिए था।