स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा - प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन से पहले जाने दिया होता तो संक्रमण इतना नहीं फैलता

भारत में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले 24 घंटे में 8380 नए केस सामने आए हैं। वहीं देश में 193 लोगों की इस खतरनाक वायरस से जान भी गई है। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण 28 राज्यों में फैला है। 7 केंद्र शासित प्रदेश भी इसकी चपेट में हैं। इनमें दिल्ली, चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पुडुचेरी और दादरा एवं नगर हवेली शामिल हैं। देश में कोरोना संक्रमण के 1 लाख 82 हजार 484 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि 5164 की मौत हो चुकी है।

देश में बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने कहा है कि अगर प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन लागू किए जाने से पहले घर जाने की अनुमति दी गई होती तो देश में कोरोना वायरस के मामलों को बढ़ने से रोका जा सकता था, क्योंकि तब यह संक्रामक रोग कम स्तर पर फैला था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी रिपोर्ट

इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आईपीएचए) , इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमोलॉजिस्ट (आईएई) के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेजा गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 'लौट रहे प्रवासी अब देश के हर हिस्से तक संक्रमण लेकर जा रहे हैं। ज्यादातर उन जिलों के ग्रामीण और शहरी उपनगरीय इलाकों में जा रहे हैं जहां मामले कम थे और जन स्वास्थ्य प्रणाली अपेक्षाकृत कमजोर है। उन्होंने बताया कि भारत में 25 मार्च से 30 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन सबसे ‘‘सख्त'' रहा और इस दौरान कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़े।

भारत ने चुकाई भारी कीमत

विशेषज्ञों ने कहा कि जनता के लिए इस बीमारी के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध होने के कारण ऐसा लगता है कि चिकित्सकों और महामारी विज्ञानियों ने सरकार को शुरुआत में सीमित फील्ड प्रशिक्षण और कौशल के साथ सलाह दी। उन्होंने रिपोर्ट में कहा, 'नीति निर्माताओं ने स्पष्ट तौर पर सामान्य प्रशासनिक नौकरशाहों पर भरोसा किया। महामारी विज्ञान, जन स्वास्थ्य, निवारक दवाओं और सामाजिक वैज्ञानिकों के क्षेत्र में विज्ञान विशेषों के साथ बातचीत सीमित रही।' इसमें कहा गया है कि भारत मानवीय संकट और बीमारी के फैलने के लिहाज से भारी कीमत चुका रहा है। विशेषज्ञों ने जन स्वास्थ्य और मानवीय संकटों से निपटने के लिए केंद्र, राज्य और जिला स्तरों पर अंतर-अनुशानात्मक जन स्वास्थ्य और निवारक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और सामाजिक वैज्ञानिकों की एक समिति गठित करने की सिफारिश की है।

उन्होंने सुझाव दिया कि जांच के नतीजों समेत सभी आंकड़ें अनुसंधान समुदाय के लिए सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि इस वैश्विक महामारी पर नियंत्रण पाने का समाधान खोजा जा सके। संक्रमण के फैलने की दर कम करने के लिए सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने की जरूरत पर जोर देते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि साथ ही बेचैनी और लॉकडाउन संबंधी मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं से निपटने के लिए सामाजिक जुड़ाव बढ़ाने के कदमों को भी बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने निजी अस्पतालों समेत चिकित्सा संस्थानों के जरिए इंफ्लूएंजा जैसी बीमारियों और श्वसन संबंधी बीमारी सीविएर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस के मरीजों के लिए निगरानी बढ़ाने की भी सिफारिश की।