केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर को आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। जो काम रविवार को हो सकता था वो तीन दिन बाद बुधवार को हुआ। सरकार की किरकिरी हुई वो अलग। बीजेपी पर महिला विरोधी होने के आरोप लगे। पार्टी के प्रवक्ता सवालों से मुंह छिपाते फिरे। अकबर के इस्तीफा को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि अकबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी भारी पड़ गई। सूत्रों की मानें तो एमजे अकबर का इस्तीफा नहीं होने से संघ काफी नाराज़ था और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक भी यह बात पहुंचा दी गई थी। #MeToo मुहिम के तहत 20 महिला पत्रकारों ने उन पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इसे लेकर वो लगातार घिरे हुए थे। एमजे अकबर ने बयान जारी करके कहा है कि मैंने निजी तौर पर अदालत में न्याय पाने का फ़ैसला किया है, मुझे यह उचित लगा कि पद छोड़ दूं और अपने ऊपर लगे झूठे इल्ज़ामों का निजी स्तर पर ही जवाब दूं। इसलिए मैंने विदेश राज्य मंत्री के पद से अपना इस्तीफ़ा दे दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, संघ की तरफ से कहा गया था कि समाज के एक तबके की तरफ से एमजे अकबर पर लगाए जा रहे आरोपों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। संघ की तरफ से भी ये संदेश दिया गया कि ये एक गलत परंपरा की शुरुआत कही जाएगी कि जनता की शिकायतें यहां नहीं सुनी जातीं। संघ की तरफ से कहा गया कि जब तक इस मसले पर एमजे अकबर पाक-साफ नहीं पाए जाते, तब तक उन्हें सरकार से अलग रखना चाहिए।' अकबर के साथ काम कर चुके कुछ पुरुष पत्रकार भी सामने आए। रशीद किदवई और अक्षय मुकुल ने कहा कि वे महिला पत्रकारों की शिकायतों का समर्थन करते हैं। इस बीच सरकार के आला स्तर पर अकबर को सरकार में बनाए रखने के सियासी नफे नुकसान का अंदाजा लगाना शुरू किया गया।हिंदी पट्टी के राज्यों के विधानसभा चुनावों के प्रचार में कूदे बीजेपी नेताओं को लगा कि अकबर को बनाए रखने से नुकसान ज्यादा है। महिला सुरक्षा और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के बीजेपी के मुद्दे इससे कमजोर होते हैं। अकबर का न तो कोई सियासी वजूद है और न ही सियासी वज़न। ऐसे शख्स को सरकार में रखने का क्या फायदा जिसके चलते सीधे प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर सवाल उठाए जाने लगें। एक दलील यह जरूर दी गई थी कि अकबर को हटाने का मतलब एक मिसाल कायम करना होगा जिसमें किसी भी नेता पर सालों बाद ऐसे आरोप लगने पर इस्तीफा लेने का दबाव पड़ने लगे। लेकिन सरकार के कार्यकाल के अब कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में इस दलील का कोई मतलब नहीं रहा। इन तमाम बातों के चलते एमजे अकबर पर इस्तीफे का दवाब बढ़ गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मंगलवार को पहले एमजे अकबर से मुलाकात की, फिर डोभाल ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इन दोनों मुलाकात के बाद डोभाल ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिले, जिसमें संगठन महामंत्री रामलाल भी मौजूद थे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र के निर्देश पर एमजे अकबर को ये संदेश दे दिया गया कि मंत्रिमंडल से उन्हें जाना पड़ेगा।