इंजिनियरिंग करके ढूंढ रही थीं नौकरी, चुनाव लड़ा और सांसद बन गईं

लोकसभा चुनाव में ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने इस साल मार्च में ही घोषणा कर दी थी कि वे लोकसभा चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देंगे। सीएम पटनायक के इसी घोषणा का कमाल है कि ओडिशा में कुल 21 संसदीय सीट हैं जिनमें से सात महिला सांसद चुनी गईं हैं। यह संख्या राज्य में कुल सांसदों का 33 फीसदी है। ओडिशा संसद में 33 प्रतिशत महिला सांसदों की हिस्सेदारी वाला पहला राज्य है। लोकसभा में 33 प्रतिशत महिला सांसदों को भेजने के साथ ही ओडिशा ने सबसे कम उम्र की महिला सांसद को भी लोकसभा में भेजा है। देश की सबसे कम उम्र की महिला सांसद 25 वर्षीय चंद्राणी मुर्मू इंजिनियरिंग में स्नातक हैं। वह बीजू जनता दल (बीजेडी) के टिकट पर क्योंझर लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर सदन पहुंची हैं। यह सीट अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है। चंद्राणी ने इस सीट पर बीजेपी को जोरदार टक्कर दी और चुनाव जीत गईं। इसी के साथ ही अपने जीवन के 25 साल 11 महीने पूरे कर चुकीं चंद्राणी मुर्मू ने एक रिकॉर्ड कायम कर दिया। वह भारत की सबसे कम उम्र की सांसद बन गईं।

देश की सबसे कम उम्र की सांसद

25 वर्षीय चंद्राणी मुर्मू इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं। ओडिशा का क्योंझर सीट अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है। चुनाव में मुर्मू ने 67,822 मतों के अंतर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो बार से सांसद रहे अनंत नायक को हराया है। इससे पहले इंडियन नेशनल लोकदल के दुष्यंत चौटाला 16वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद थे। उन्हें 2014 में हिसार लोकसभा सीट से 26 साल की उम्र में चुना गया था।

नौकरी ढूंढ़ रही थीं, बन गई सांसद

भुवनेश्वर से दिल्ली की रायसीना हिल तक का चंद्राणी का सफर एक परी कथा की तरह है। कुछ महीने पहले, वह किसी भी अन्य लड़की की तरह ही 2017 में भुवनेश्वर स्थित एसओए विश्वविद्यालय से बी. टेक पूरा करने के बाद नौकरी खोज रही थीं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थीं। लेकिन चंद्राणी की किस्मत लोकसभा में उनका इंतजार कर रही थी।

नवीन पटनायक को क्योंझर सीट से अपनी पार्टी के लिए एक कैंडिडेट चाहिए था। उनकी खोज चंद्राणी तक कैसे पहुंची ये तो पता नहीं, लेकिन उन्होंने चंद्राणी मुर्मू को लोकसभा का उम्मीदवार घोषित कर दिया। चंद्राणी ने कहा, मैं अपनी इंजीनियरिंग पूरा करने के बाद नौकरी खोज रही थी, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं राजनीति करूंगी और सांसद बनूंगी, मेरा नामांकन अप्रत्याशित था।

नाना रह चुके हैं सांसद

चंद्राणी मुर्मू ने उन्हें मौका देने के लिए क्योंझर के लोगों और बीजेडी के प्रमुख नवीन पटनायक का शुक्रिया अदा किया। चंद्राणी कहती है कि उनका फोकस युवाओं के लिए रोजगार के मौके पैदा करना होगा। चंद्राणी के नाना हरिहर सोरेन 1980-1989 तक दो बार कांग्रेस से सांसद रहे हैं। हालांकि, मुर्मू का परिवार अब राजनीति में सक्रिय नहीं है।