एडिटर्स गिल्ड के 4 सदस्यों के खिलाफ मणिपुर CM ने दर्ज कराई FIR

इम्फाल। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार 4 सितंबर को एडिटर्स गिल्ड के मेंबर्स के खिलाफ FIR दर्ज कराई। गिल्ड पर राज्य में हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश का आरोप है। इसने एक रिपोर्ट में सरकार की लीडरशिप को पक्षपाती बताया था।

जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है उनमें एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्य - सीमा गुहा, भारत भूषण तथा संजय कपूर शामिल हैं। गुहा, भूषण और कपूर ने जातीय हिंसा पर मीडिया रिपोर्ताज का अध्ययन करने के लिए पिछले महीने राज्य का दौरा किया था। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ‘सभी समुदायों’ के प्रतिनिधियों से मिलना चाहिए था, न कि ‘केवल कुछ वर्गों से’।

CM ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- मैं एडिटर्स गिल्ड के मेंबर्स को वॉर्निंग देता हूं। अगर आपको सच जानना है तो घटना वाली जगह पर जाएं। सच्चाई को जानिए। सभी समुदाय के लोगों से मिलिए, फिर जो जानकारी मिले उसे पब्लिश करें। चुनिंदा लोगों से ही मिलकर कोई नतीजा देना गलत है।

ANI की रिपोर्ट के अनुसार- एडिटर्स गिल्ड ने 2 सितंबर को सोशल मीडिया हैंडल X (टि्वटर) पर अपनी रिपोर्ट शेयर की थी। इसके साथ लिखा था कि- यह बात स्पष्ट है कि मणिपुर में हिंसा के समय निष्पक्ष लीडरशिप नहीं हो रही थी। सरकार को इस मामले में किसी एक जाति का पक्ष नहीं लेना चाहिए था। सरकार लोकतांत्रिक रहने में फेल हुई है।

ANI ने बताया- एडिटर्स गिल्ड ने अपनी रिपोर्ट में एक फोटो में गलती कर दी। गिल्ड ने चुराचांदपुर जिले में एक जलती हुई इमारत की तस्वीर छापी और दावा किया कि यह कुकी समुदाय का घर है। जबकि यह बिल्डिंग वन विभाग ऑफिस की थी जिसे 3 मई को एक भीड़ ने आग लगा दी थी।

गलत फोटो का मामला सामने आने के बाद एडिटर्स गिल्ड ने रविवार को एक्स (ट्विटर) पर अपनी गलती को स्वीकार किया। गिल्ड ने आगे लिखा- हमें फोटो कैप्शन में हुई गलती के लिए खेद है। इसमें सुधार किया जा रहा है। नई मणिपुर रिपोर्ट अपलोड कर दी गई है।

असम राइफल्स के लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने 1 सितंबर को कहा था- मणिपुर में दोनों जाति के लोगों के पास बहुत सारे हथियार हैं। इससे राज्य मे मुश्किलें बढ़ रही हैं। इस लड़ाई को रोकने की जरूरत है। लोगों को बताना चाहिए कि शांति ही अब आगे का रास्ता है।
इस समय मणिपुर में ऐसे हालात हैं जो पहले कभी नहीं देखे गए। ऐसी ही लड़ाई 90 के दशक की शुरुआत में नगा और कुकी और आखिर में कुकी लोगों के बीच हुई थी।

मणिपुर के हालात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। बीते दिनों उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और मणिपुर सरकार को हिंसाग्रस्त राज्य के कुछ क्षेत्रों में आर्थिक नाकेबंदी का सामना कर रहे लोगों को भोजन और दवाओं जैसी बुनियादी वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए शुक्रवार को निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि स्थिति को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों से उसे अवगत कराया जाए।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और उनमें से ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

3 मई से जारी हिंसा में 160 से ज्यादा मौतें

राज्य में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच 3 मई से जारी हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र ने बताया था कि मणिपुर में 6 हजार 523 FIR दर्ज की गई हैं। इनमें से 11 केस महिलाओं और बच्चों की हिंसा से जुड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 अगस्त को कहा था कि मणिपुर हिंसा से जुड़े मामलों की जांच 42 स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीमें (SIT) करेंगी।