सुशांत केस / सीबीआई के बारे में संजय राउत ने कहीं ये बातें, जांच पर उठाए सवाल

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का केस सीबीआई को देने के बाद रविवार को शिवसेना (Shiv Sena) नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने पार्टी मुखपत्र सामना में इस पूरे मामले में कई सवाल उठाए। उन्होंने सीबीआई जांच को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया।

उन्होंने अपने लेख में लिखा 'मुंबई पुलिस दुनिया का सर्वोच्च जांच तंत्र है। मुंबई पुलिस दबाव का शिकार नहीं होती। यह पूरी तरह प्रोफेशनल है। शीना बोरा हत्याकांड मुंबई पुलिस ने ही सुलझाया था। उसमें कई बड़े नाम शामिल थे लेकिन पुलिस ने सभी को जेल में पहुंचाया। 26/11 आतंकवादी हमले का जवाब मुंबई पुलिस ने ही दिया और सशक्त सबूत इकट्ठा करके कसाब को फांसी पर पहुंचाया। इसलिए सुशांत जैसे मामले में केंद्र द्वारा हस्तक्षेप करना मुंबई पुलिस का अपमान है।'

संजय राउत ने लिखा, सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच अब सीबीआई के हाथ में पहुंच गई है। मुंबई पुलिस की जांच शुरू रहने के दौरान बिहार सरकार सीबीआई जांच की मांग करती है, केंद्र सरकार इसे तुरंत स्वीकृति दे देती है। किसी प्रकरण का राजनीतिकरण करना है, इसके लिए सीबीआई, ईडी जैसी केंद्रीय संस्थाओं का इस्तेमाल करना, यह सब झकझोर देने वाला है।

संजय राउत ने संजय 'सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले में मुंबई पुलिस की जांच को पूरा हो जाने दीजिए उसके बाद उसपर टिप्पणी कीजिये। उन्होंने बिहार पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि सुशांत की मौत के लगभग 40 दिन के बाद बिहार में FIR दाखिल की गई है, इसमें बिहार के मुख्यमंत्री भी शामिल होते हैं। अगर इस पूरे मामले को सिलसिलेवार तरीके से देखें तो सुशांत सिंह मामले में कोई भी कहीं से भी बैठकर कहानी लिख रहा है और ठीक उसी कहानी को हकीकत में बदलने की कोशिश जारी है।'

‘सीबीआई’ केंद्र की ताल पर काम करती है

‘सीबीआई’ एक केंद्रीय जांच एजेंसी होगी, परंतु वह स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं है। यह कई बार दिख चुका है। कई राज्यों ने सीबीआई पर बंदी ही लगा दी है। शारदा चिटफंड मामले की जांच करने के लिए कोलकाता पहुंचे सीबीआई के दस्ते को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिर्फ रोका ही नहीं, बल्कि उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करके उन्हें लॉकअप में भी डाल दिया। उस दिन पूरा कोलकाता सीबीआई के खिलाफ सड़कों पर उतर आया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उस भीड़ का नेतृत्व सड़क पर उतरकर कर रही थीं। जिनकी सरकार केंद्र में होती है, सीबीआई उनकी ताल पर काम करती है।

संस्थाओं पर उठे सवाल: राउत

सर्वोच्च न्यायालय से लेकर ईडी, सीबीआई जैसी संस्थाओं पर विगत कुछ वर्षों में सवालिया निशान लग चुके हैं। ऐसे सवाल खड़े करने में नरेंद्र मोदी व अमित शाह भी शामिल थे ही! गोधरा दंगों के बाद हुई हत्याओं की जांच सीबीआई के पास न जाए, क्योंकि सीबीआई केंद्रीय सत्ताधारियों का राजनीतिक हथियार है, ऐसा तब मोदी, शाह का मत था। यही मत सुशांत सिंह राजपूत मामले में व्यक्त किया गया तो क्या गलती हुई?

संजय ने आगे लिखा- अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली, ऐसा साफ दिख रहा है। ये हत्या है, ऐसा जो बार-बार कहा जा रहा है, इसका ऐसा कोई आधार नहीं है। अभिनेता की हत्या कर दी गई व इसमें फिल्म जगत व राजनीतिक नेताओं की मिलीभगत है। ऐसा चिल्लाकर कहना, यह गर्म तवे पर रोटी सेंकने की इच्छा रखनेवाले ओछे किरदारों व समाचार चैनलों का स्पष्ट झूठा प्रचार है।

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली सरकार है। उसे किसी भी तरह गिराया जाए। नहीं गिरती है तो बदनाम किया जाए, ऐसा विरोधियों ने तय किया है व भारतीय जनता पार्टी के हर तरह के समर्थन के बल पर खड़े हुए समाचार चैनलों से उन्होंने सुशांत प्रकरण में मोर्चा खोला है। उन समाचार चैनलों के प्रमुखों द्वारा की गई वो ‘गॉसिपिंग!’ लोगों के मन में संदेह बढ़ाया है।

राउत ने कहा, शरद पवार ने मुझे फोन किया कि, ‘एक समाचार चैनल पर उद्धव ठाकरे का उल्लेख अशिष्ट भाषा में किया जाता है, ये सही नहीं है। वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री सिर्फ कोई एक व्यक्ति नहीं होता है, बल्कि एक संस्था होती है।’

उन्होंने सवाल किया, ‘फिर सरकार क्या कर रही है?’ पवार की राय एक अनुभवी नेता की राय है, पत्रकारिता का ये दृश्य अच्छा नहीं है। एक समाचार चैनल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर अशिष्ट भाषा में जहर उगलता है और उसे सहन किया जाता है। उस समाचार चैनल को महाराष्ट्र की राजनीतिक पार्टियां समर्थन देती हैं। सुशांत सिंह सिर्फ माध्यम हैं और उनके माध्यम से सरकार को बदनाम करना। यही मुख्य साजिश है, जो कि जारी है।