शिवसेना ने मानी पवार की शर्त, 30 साल पुराना गठबंधन टूटा!

महाराष्‍ट्र में हर पल बदल रहे सियासी समीकरण में एक नया ट्विस्ट आया है। राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के 'फॉर्मूले' पर अमल करते हुए शिवसेना ने NDA से अलग होने की तैयारी कर ली है। इस रणनीति के तहत शिवसेना (Shiv Sena) सांसद और मोदी कैबिनेट में मंत्री अरविंद सावंत (Arvind Sawant) ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्‍तीफा देने की घोषणा की है। उन्‍होंने ट्वीट कर यह जानकारी दी। बता दें कि इससे पहले NCP ने NDA से अलग होने की स्थिति में ही शिवसेना को समर्थन देने की शर्त रखी थी। मालूम हो कि शिवसेना सांसद के पास भारी उद्योग मंत्रालय की जिम्‍मेदारी है।

बता दे, शिवसेना और बीजेपी का साथ 30 साल पुराना है। लेकिन अपनी शर्तों पर सरकार न मिलने के चलते शिवसेना ने इस साथ को छोड़ने का मन बना लिया है। बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन 1989 में हुआ था। ये वो वक्त था जब शिवसेना की कमान उसके संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के हाथों में थी, जो हिंदुत्व का बड़ा चेहरा थे। बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन भी हिंदुत्व के विचार पर ही आगे बढ़ा। बाला साहेब ठाकरे के जिंदा रहने तक दोनों पार्टियां का गठबंधन बदस्तूर चलता रहा लेकिन 2012 में उनके निधन के बाद जब 2014 में विधानसभा चुनाव हुए तो शिवसेना और बीजेपी अलग हो गईं। दोनों पार्टियों ने अपने-अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, बाद में शिवसेना देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गई।

दिलचस्प बात ये है कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में शिवसेना पांच साल तक महाराष्ट्र की सरकार में रही, लेकिन उसके नेताओं ने कोई ऐसा मौका नहीं चूका जब बीजेपी और सरकार की आलोचना न की हो। यहां तक कि केंद्र की मोदी सरकार पर टिप्पणी करने से भी शिवसेना नेता पीछे नहीं रहे। पांच साल खटास के बावजूद बीजेपी और शिवसेना ने 2019 का लोकसभा चुनाव साथ लड़ा, लेकिन साथ लड़ने में एक शर्त रखी गई 50-50 यानी सत्ता में बराबर की भागीदारी। लेकिन अक्टूबर में जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो मुख्यमंत्री पद बीजेपी और शिवसेना भिड़ गईं। शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री के पद का वादा याद दिलाया, तो बीजेपी की तरफ से फडणवीस ने दो टूक कह दिया कि ऐसा कोई वादा था ही नहीं। लिहाजा दोनों पार्टियों के बीच दरार बन गई। तभी इस बीच एनसीपी ने शिवसेना को समर्थन देने की बात कह डाली लेकिन उस समय एक शर्त रखी गई कि अगर शिवसेना बीजेपी का साथ छोड़ देती है तो हम सरकार बनाने में शिवसेना का साथ दे सकते है और सत्ता की चाह में शिवसेना ने एनसीपी की शर्त मान ली और शिवसेना कोटे से केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया।