ठंड से ठिठुर रहा था भिखारी, पास जाकर DSP ने देखा तो निकला बैच का शार्पशूटर

रास्ते में कचरा बीनता भिखारी एक समय का अचूक निशानेबाज और सब इंस्पेक्टर निकलेगा, यह शायद किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा। 10 नवंबर की रात गश्त पर निकले डीएसपी रत्नेश तोमर और विजय भदौरिया कचरा बीनते भिखारी के पास रुके तो दंग रह गए। वह भिखारी उनका ही बैचमेट एसआइ मनीष मिश्रा था, जो मानसिक संतुलन खोने के कारण इस हाल में पहुंच गया।

जानकारी के मुताबिक ग्वालियर उपचुनाव की मतगणना के बाद डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया झांसी रोड से निकल रहे थे। जैसे ही दोनों बंधन वाटिका के फुटपाथ से होकर गुजरे तो सड़क किनारे एक अधेड़ उम्र के भिखारी को ठंड से ठिठुरता हुए देखा। गाड़ी रोककर दोनों अफसर भिखारी के पास गए और मदद की कोशिश। रत्नेश ने अपने जूते और डीएसपी विजय सिंह भदौरिया ने अपनी जैकेट उसे दे दी। इसके बाद जब दोनों ने उस भिखारी से बातचीत शुरू की, तो दोनों हतप्रभ रह गए। वह भिखारी डीएसपी के बैच का ही ऑफिसर निकला।

मनीष को सामाजिक संस्था के आश्रय स्थल स्वर्ग सदन भिजवाया गया है, जहां उसकी देखरेख की जा रही है। मनीष के भाई उमेश मिश्रा निरीक्षक हैं। पिता व चाचा एएसपी पद से रिटायर हुए हैं। परिवार के अन्य सदस्य भी ऊंचे पदों पर हैं। उनकी तलाकशुदा पत्नी न्यायिक सेवा में हैं और चचेरी बहन दूतावास में पदस्थ है।

1999 बैच के सब इंस्पेक्टर हैं मनीष

मनीष मिश्रा 1999 बैच के सब इंस्पेक्टर रहे हैं। 2005 तक मनीष नौकरी में रहे और आखिरी समय तक दतिया जिले में पदस्थ थे। इसके बाद मानसिक स्थिति बिगड़ गई और पांच साल तक घर में ही रहे। फिर वे घर से निकल गए। इलाज के लिए जिन सेंटरों व आश्रय स्थलों में रहे, वहां से भी भाग गए। परिवार को भी वर्तमान में पता नहीं था कि मनीष मिश्रा अब कहां रह रहे थे।