लंपी स्किन वायरस ने राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में भयंकर तबाही मचाई हुई है। देशभर में इस वायरस की चपेट में आने से 70 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है। एक तरफ जहां राजस्थान में गायों को दफनाने के लिए जमीन तक नहीं बची तो वहीं, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी स्थिति काफी खराब होती जा रही है। पशुपालकों का व्यवसाय तबाह हो गया है। आमदनी के लिए गायों पर आश्रित लोगों के सामने जीवनयापन तक का संकट आया है। फिलहाल, टीकाकरण की प्रकिया शुरू हो चुकी है। 2019 में भी भारत में लंपी वायरस का कहर देखने को मिला था। इस साल गुजरात से लंपी वायरस का प्रकोप फिर फैल गया। अब तक कई राज्यों में लंपी वायरस फैल चुका है। मवेशियों के वायरस से संक्रमित होने से दूध के उत्पादन पर इसका खासा असर पड़ता है। क्योंकि वायरस से संक्रमित मवेशी के दूध देने की क्षमता कम हो जाती है। अगर कोई गाय या भैंस में वायरस के लक्षण दिखते हैं तो उसे तुरंत आइसोलेट कर देना चाहिए, ताकि दूसरे मवेशियों तक संक्रमण न फैले। पशुपालक जल्द ही इस वायरस पर लगाम लगने की उम्मीद कर रहे हैं।
क्या है लंपी वायरस?लम्पी स्किन डिज़ीज़ में गायों के शरीर पर गांठें बनने लगती हैं। यह उनके सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास ज्यादा दिखाई देती है। ये गांठे आगे चलकर घाव बन जाते हैं। एलएसडी वायरस मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से आसानी से फैलता है। साथ ही ये दूषित पानी, लार और चारे के माध्यम से भी फैलता है। पशुओं को रखने वाली जगहों को साफ रखें। उनके चारे और पानी की व्यवस्था भी अन्य मवेशियों से अलग रखें। इससे लंपी के प्रसार को रोका जा सकता है। इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की मृत्यु दर अनुमान 1 से 5 प्रतिशत होता है।
आइए जानते हैं लंपी वायरस से जुड़ी अहम बातें...- कुछ लोगों के मन में ये सवाल कहीं ना कहीं घर किए हुए है कि लंपी वायरस से संक्रमित गायों का दूध कितना संक्रामक हो सकता है तो लखनऊ मंडल के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और विशेषज्ञ अरविंद कुमार वर्मा ने आजतक से बात करते हुए बताया कि इस वायरस का असर दूध में जरूर दिखाई देता है। हालांकि, इसे पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है।
- अरविंद कुमार वर्मा के मुताबिक, अगर आप लंपी वायरस से पीड़ित गाय का दूध इस्तेमाल करते है तो उसे सबसे पहले अच्छी तरह से उबाल लें। ऐसा करने से वायरस पूरी तरीके से नष्ट हो जाता है। इंसान के लिए इसमें कोई भी हानिकारक तत्व नहीं बचते और कोई भी नुकसान नहीं होता है।
- संक्रमित गाय के दूध के सेवन से बछड़ा या बछिया भी इस बीमारी से संक्रमित हो सकते है।
- अभी तक लंपी स्किन डिजीज से ग्रस्त पशुओं से इंसानों में बीमारी फैलने का कोई मामला सामने नहीं आया है। फिलहाल, इस वायरस पर वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च जारी है।
- लंपी स्किन वायरस का सबसे ज्यादा असर दूध के कारोबार पर पड़ा है। राजस्थान में दूध संग्रह में प्रति दिन 3 से 4 लाख लीटर की कमी होने का अनुमान है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में भी ठीक इसी प्रकार की स्थिति रहने का अनुमान लगाया गया है।
- पशुपालकों को अपनी गायों को गोटपॉक्स वैक्सीन लगवाने की सलाह दी गई। पहले यह वैक्सीन बकरियों में ऐसे ही लक्षण के दिखने पर लगाया जाता था। इसका असर भी दिख रहा है। पशुपालकों तक देसी वैक्सीन पहुंचने से पहले गायों को लंपी से रिकवर करने में इससे काफी मदद मिल रही है।
- केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर लंपी वायरस को कंट्रोल करने के लिए प्रयास कर रही है। साथ ही, उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि वैज्ञानिकों ने लंपी वायरस बीमारी के लिए देसी टीका भी बना लिया है। फिलहाल इस टीके को मार्केट में उतरने में वक्त लगेगा।
- अगर आपका पशु इस बीमारी से ग्रसित हो गया है तो उसे स्वस्थ पशुओं से अलग रखें। साथ ही पशुओं को मक्खी,चिचडी एंव मच्छर के काटने से बचाने की दिशा में काम करें। यही नहीं पशुशाला की साफ - सफाई दैनिक रूप से करें और डिसइन्फैक्शन का स्प्रे करते रहें। संक्रमित पशुओं को खाने के लिए संतुलित आहार तथा हरा चारा दें। अगर इस बीमारी से किसी की मौत हो जाती है तो मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दबा दें।
देसी इलाज और औषधि
- लंपी संक्रमण से बचाने के लिए पशुओं को आंवला,अश्वगन्धा, गिलोय एंव मुलेठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाएं। तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी , दालचीनी 05 ग्राम सोठ पाउडर 05 ग्राम , काली मिर्च 10 नग को गुड़ में मिलाकर सुबह शाम खिलाएं। संक्रमण रोकने के लिए पशु बाड़े में गोबर के कण्डे में गूगल,कपूर,नीम के सूखे पत्ते , लोबान को डालकर सुबह शाम धुआँ करें। पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट एंव 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें। घोल के स्नान के बाद सादे पानी से नहलाएं।
- अगर आपके पशु को लंपी वायरस का संक्रमण हो जाता है तो एक मुट्ठी नीम के पत्ते, तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी,लहसुन की कली 10 नग लौग 10 नग,काली मिर्च 10 नग जीरा 15 ग्राम हल्दी पाउडर 10 ग्राम पान के पत्ते 05 नग, छोटे प्याज 02 नग पीसकर गुंड में मिलाकर सुबह शाम 10-14 दिन तक खिलाएं।
- संक्रमण के दौरान खुले घाव पर आप नीम के पत्ते एक मुट्ठी , तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी , मेहंदी के पत्ते एक मुट्ठी लेहसुन की कली 10 हल्दी पाउडर 10 ग्राम , नारियल का तेल 500 मिलीलीटर को मिलाकर धीरे-धीरे पकाये तथा ठण्डा होने के बाद नीम की पत्ती पानी में उबालकर पानी से घाव साफ करने के बाद जख्म पर लगाये।