
जयपुर स्थित राजस्थान सचिवालय में बुधवार को कर्मचारियों ने अपनी वर्षों से लंबित मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। सचिवालय फोरम के नेतृत्व में हुए इस विरोध में कर्मचारियों ने रैली निकाली और मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव करते हुए सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की।
मुख्य भवन के बाहर नारेबाजी, 2.5 घंटे रहा विरोधप्रदर्शन दोपहर 1 बजे शुरू होकर 3:30 बजे तक चला, जिसमें सैकड़ों कर्मचारी शामिल हुए। सचिवालय के मुख्य भवन के बाहर कर्मचारियों ने 'सरकार जागो' जैसे नारों के साथ अपनी आवाज बुलंद की। बैरिकेड्स तक पहुंचे प्रदर्शनकारियों को सचिवालय कर्मचारी संघ अध्यक्ष बुद्धि प्रकाश शर्मा, अधिकारी संघ अध्यक्ष दलजीत सिंह और सहायक कर्मचारी संघ अध्यक्ष नरपत सिंह ने संबोधित किया।
मुख्यमंत्री से वार्ता के बावजूद मांगें अधूरीसंघों का आरोप है कि पहले भी इन मांगों को लेकर सरकार से वार्ता हो चुकी है, लेकिन ठोस निर्णय नहीं लिया गया। पिछली बार आंदोलन इसलिए टाल दिया गया था क्योंकि मुख्यमंत्री से बातचीत का भरोसा मिला था। अब जब समय बीतने के बावजूद कोई हल नहीं निकला, तो कर्मचारियों को फिर से आंदोलन की राह अपनानी पड़ी।
मुख्य सचिव से मुलाकात, सोमवार तक अल्टीमेटमप्रदर्शन के दौरान एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आलोक गुप्ता से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। आलोक गुप्ता ने आश्वासन दिया कि दो से तीन दिनों में समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। इसी तरह कार्मिक विभाग के सचिव को भी ज्ञापन सौंपा गया। प्रदर्शनकारियों ने चेताया कि अगर सोमवार तक ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
प्रमुख मांगें – पदोन्नति में छूट और रिक्त पदों की नियुक्ति
कर्मचारियों की दो मुख्य मांगें हैं—
पदोन्नति के अनुभव में छूट: कर्मचारियों ने मांग की है कि पदोन्नति के लिए अनिवार्य अनुभव अवधि में दो साल की छूट दी जाए, हालांकि इसका लाभ पहले ही ले चुके लोगों को इसमें शामिल न किया जाए।
रिक्त पदों की शीघ्र नियुक्ति: सचिवालय में वरिष्ठ उप शासन सचिव और उप शासन सचिव के कुल 16 पद खाली हैं, जिन्हें तुरंत भरे जाने की मांग उठाई गई ताकि प्रशासनिक कामकाज में सुचारूता लाई जा सके।
राज्य सरकार की ओर से अब तक मांगों पर कोई ठोस पहल न होने से सचिवालय कर्मचारियों में रोष स्पष्ट है। यदि सोमवार तक इन मांगों पर समाधान नहीं हुआ तो आगामी दिनों में यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है, जिससे सचिवालय की कार्यप्रणाली भी प्रभावित हो सकती है।