कुशीनगर हादसा: 'हम सब बच्चे चिल्ला रहे थे ड्राइवर अंकल वैन रोक दो, लेकिन वह फोन पर बात कर रहे थे'

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में आज हुई सड़क हादसे में बचे गए नौ साल के बच्चे ने कहा कि वह चालक से कह रहे थे कि अंकल वैन रोक दो, लेकिन उसने उनकी बात नहीं सुनी क्योंकि फोन पर बात कर रहे थे। घायल नौ साल के छात्र कृष्णा वर्मा ने बताया, 'हम सब बच्चे चिल्ला रहे थे और ड्राइवर अंकल से कह रहे थे कि वैन रोक दो लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वह फोन पर बात कर रहे थे और हम लोगों की आवाज उन्हें सुनाई ही नहीं दे रही थी।

90 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल रही थी ट्रेन


वही जांच से पता चला है कि जिस वक्त स्कूली वैन सीवान-गोरखपुर पैसेंजर ट्रेन से टकराई थी, उस समय उस ट्रेन की गति 90 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इससे पहले पैसेंजर ट्रेन की गति 40-60 किलो मीटर प्रति घंटे ही रहती थी, लेकिन रेल लाइन दोहरीकरण के बाद गति सीमा बढ़ाकर 60 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा कर दी गई थी। ट्रेन की स्पीड ज्यादा होने के कारण उसे दुदही रेलवे स्टेशन पर रोका गया। ट्रेन के गार्ड दिलीप यादव को दुदही रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद इस बड़ी दुर्घना की जानकारी मिल सकी। हालांकि गार्ड ने कहा कि स्कूली वैन के ट्रेन से टकराने के बाद झटका लगा था। पीछे मुड़कर देखा तो एक स्कूली वैन भी पलटी थी। धुआं उठ रहा था लेकिन उसमें विद्यार्थियों के होने की जानकारी नहीं थी।

बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा गणेश कुमार ने बताया कि कृष्णा के पैर में चोट है और वह खतरे से बाहर है लेकिन अन्य तीन घायल बच्चों की हालत काफी गंभीर है। वैन के ड्राइवर के शरीर में कई फ्रैक्चर है और साथ ही उसके सिर में गंभीर चोटे आई है उसकी हालत काफी गंभीर है।

गौरतलब है कि गुरुवार को कुशीनगर के पास दुदुही में मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर एक स्कूल वैन और ट्रेन की टक्कर में 13 स्कूली बच्चों की मौत हो गयी तथा चालक समेत पांच जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे है। जिले की मिसरौली गांव की ग्राम प्रधान किरन देवी के घर आज मातम पसरा हुआ है, क्योंकि आज

सुबह हुई ट्रेन स्कूल वैन दुर्घटना में उनके तीन बच्चों की मौत हो गयी है। बच्चों की मां किरन लगातार रो रही है जबकि पिता अमरजीत इस गहरे सदमे की वजह से पूरी तरह से खामोश हैं। बच्चों के दादा हरिहर प्रसाद ने बताया कि घर में दीवार पर टंगे फोटो में उनके दो पौत्र रवि (12), संतोष (10) और पौत्री रागिनी (7) की तस्वीरें है लेकिन अब परिवार इन बच्चों को फोटो में ही देख पायेगा क्योंकि यह तीनों अब हम लोगों से बहुत दूर जा चुके है।

उन्होंने कहा कि अब हम उन्हें कभी देख नही पायेंगे। वे आज स्कूल जाने को तैयार नही थे लेकिन आज वह हमें हमेशा के लिये छोड़कर चले गये। बतरौली गांव का रहने वाला हरिओम एलकेजी का छात्र था। उसके पिता अमर सिंह एक किसान है और वह उनका इकलौता बेटा था। आज की दुर्घटना में हरिओम की भी मौत हो गयी है।