पढ़ें कठुआ के दोषियों के जुर्म की दास्तां, 7 में से 6 आरोपी दोषी

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ हुए रेप और हत्या के मामले में पठानकोट की अदालत ने आज अहम फैसला सुनाया है। पठानकोट कोर्ट की विशेष अदालत ने कुल 7 आरोपियों में से 6 को दोषी करार दिया है। जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया गया है। कोर्ट शाम 4 बजे सजा का ऐलान करेगी। इस आरोपी को बरी किया गया है उसका नाम विशाल जंगोत्रा है। विशाल ने इस मामले में कोर्ट के सामने कहा था कि वो घटना के दिन वहां मौजूद ही नहीं था। अपनी बात को साबित करने के लिए विशाल ने अदालत में सबूत और गवाह भी पेश किए थे। उसी का फायदा उसे मिला है।

इस केस में जिन 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजुरिया, पुलिस ऑफिसर सुरेंद्र कुमार, रसाना गांव का परवेश कुमार, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज, पूर्व राजस्व अधिकारी का बेटा विशाल और उसका चचेरा भाई (जिसे नाबालिग बताया गया) शामिल था। किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। इस मामले ने बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था और इसमें बीजेपी के दो मंत्रियों (चौधरी लाल सिंह, पूर्व वन मंत्री और चंद्र प्रकाश गंगा, पूर्व उद्योग मंत्री) को अपना मंत्री पद गवाना पड़ा था। मामले की सुनवाई पठानकोट की जिला और सत्र अदालत में चल रही है। इसके अलावा ग्राम प्रधान सांझी राम को इस मामले का मुख्य आरोपी बताया गया।

सांझी राम (60 साल)

सांझी राम इस पूरी घटना का मास्टर माइंड बताया जाता है। पुलिस की चार्जशीट की मुताबिक, सांझी राम ने बकरवाल समुदाय की मासूम बच्ची का अपहरण, रेप और मर्डर की साजिश रची थी। सांझी राम ने ही रासना गांव में देवीस्थान मंदिर के सेवादार को हटाने के लिए इस घिनौने कृत्य को अंजाम दिया था। इसके लिए वह अपने नाबालिग भतीजे और अन्य छह लोगों को लगातार उकसा रहा था।

विशाल जंगोत्रा

विशल जंगोत्रा, सांझी राम का बेटा और मेरठ में पढ़ रहा था। विशाल पर आरोप है कि उसने सांझी राम के नाबालिग भतीजे के साथ मिलकर बच्ची का बलात्कार किया। भतीजे ने कथित रूप से जंगोत्रा ​​को मंदिर में बुलाया और बच्ची के साथ दुष्कर्म किया।

परवेश कुमार उर्फ ​​मन्नू

परवेश कुमार, सांझी राम के भतीजे का दोस्त है और उस पर आरोप है कि उसने नाबालिग की मदद करके बच्ची का अपहरण करने में मदद की और सामूहिक बलात्कार को अंजाम दिया।

उप-निरीक्षक आनंद दत्ता और हेड कांस्टेबल तिलक राज

इन दोनों ही आरोपियों ने सबूतों को नष्ट करने की कोशिश की और यह भी बताया गया है कि आरोपियों को गिरफ्तारी से बचने के लिए इन लोगों ने बच्ची के कपड़े तक धो डाले।

दीपक खजुरिया, स्पेशल पुलिस ऑफिसर

दीपक खजुरिया ने बच्ची को मारने से पहले रेप करने की इच्छा जाहिर की थी। दीपक का नाम सांझी राम ने अपने बयान में लिया था। कॉल डेटा रिकॉर्ड के हवाले से भी सामने आया कि वह उसी जगह पर मौजूद था जहां बच्ची को 4 दिनों के लिए बंद कर रखा गया था।

स्पेशल पुलिस ऑफिसर सुरेंद्र कुमार

चश्मदीदों ने सुरेंद्र कुमार को घटना वाली जगह देखा गया था। कॉल डेटा रिकॉर्ड में भी उनकी मौजूदगी घटना स्थल पर सामने आई है।

सांझी राम का भतीजा

सांझी राम ने नाबालिग लड़के को कथित तौर पर अपहरण और बलात्कार के लिए उकसाया गया था, ताकि बकरवाल समुदाय से बदला लिया जा सके। सांझी राम के भतीजे पर आरोप है कि उसने एक लड़की का पहले गला घोंटा फिर पत्थर से सर कुचलकर उसकी हत्या कर दी।

आरोपियों को सुनाई जा सकती हैं उम्रकैद और मौत की सजा

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जम्मू कश्मीर से बाहर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था। इससे पहले कठुआ के वकीलों ने क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को मामले में चार्जशीट दाखिल करने से रोका था। इस मामले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। अगर आरोपियों को दोषी करार दिया जाता है तो कम से कम उम्रकैद और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है।