कर्नाटक में अधिकारी की आत्महत्या की जांच के लिए एसआईटी गठित, भाजपा ने की सीबीआई जांच की मांग

बेंगलूरू। कर्नाटक ने 87 करोड़ रुपये के फंड की हेराफेरी में फंसे एक सरकारी कर्मचारी की कथित आत्महत्या की जांच के लिए चार सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। इस बीच, भाजपा विधायक बसंगौड़ा पाटिल यतनाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के आधार पर मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है।

एसआईटी का नेतृत्व आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के आर्थिक अपराध प्रभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनीष खरबीकर कर रहे हैं। अन्य तीन सदस्य शिवप्रकाश देवराजू (डीसीपी, दक्षिण यातायात प्रभाग, बेंगलुरु), हरिराम शंकर (पुलिस अधीक्षक- खुफिया) और राघवेंद्र के हेगड़े (पुलिस अधीक्षक, सीआईडी, बेंगलुरु) हैं।

टीम ने कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम (केएमवीएसटीडीसी) के प्रबंध निदेशक जेजी पद्मनाभ और अकाउंटेंट परशुराम को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। निगम के अधीक्षक चंद्रशेखरन पी के छह पन्नों के सुसाइड नोट में इन दोनों के नाम का उल्लेख किया गया था।

रविवार शाम को 50 वर्षीय चंद्रशेखरन शिवमोगा जिले में अपने घर में छत के पंखे से लटके पाए गए। सुसाइड नोट में उन्होंने आरोप लगाया कि पैसे की कथित हेराफेरी से उपजे दबाव के कारण उन्होंने यह कठोर कदम उठाया और पद्मनाभ तथा परशुराम को दोषी ठहराया। उन्होंने बेंगलुरु में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा की मुख्य प्रबंधक शुचिता का भी नाम लिया।

उनकी मृत्यु के बाद वाल्मीकि विकास निगम ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ 88 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई। इसके आधार पर आपराधिक मामला दर्ज किया गया। हालांकि, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी 30 मई को सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उसने सभी वित्तीय लेन-देन को धोखाधड़ी वाला बताया। बैंक ने एक बयान में तीन अधिकारियों को निलंबित करने की घोषणा की और कहा कि उसकी शिकायत पूरी जांच सुनिश्चित करने और दोषियों की शीघ्र पहचान करने के लिए है।

शनिवार को भाजपा विधायक बसंगौड़ा पाटिल यतनाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अधिकारी की आत्महत्या के साथ-साथ वाल्मीकि विकास निगम में वित्तीय अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की।

यतनाल ने कहा, ईमानदार अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और वित्तीय धोखाधड़ी में सहयोग करने के लिए लगातार दबाव डाला जाता है। जब भी कांग्रेस सत्ता में रही है, कई स्वाभिमानी सरकारी अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों, मंत्रियों और अन्य निर्णयकर्ताओं पर दबाव और जबरदस्ती का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली है।

उन्होंने कहा, चंद्रशेखरन ने एक मंत्री और निगम के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा धन हड़पने और उसे अन्य खातों में स्थानांतरित करने के दबाव के कारण आत्महत्या कर ली। चंद्रशेखरन एक ईमानदार और सच्चे अधिकारी थे, जिन पर निगम के उच्च अधिकारियों और एक मंत्री का भारी दबाव था।

विधायक का पत्र ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले भाजपा नेता आर अशोक ने कर्नाटक के मंत्री बी नागेंद्र के इस्तीफे की मांग की थी और कहा था कि अगर छह जून तक उन्हें पद से नहीं हटाया गया तो पार्टी राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि मंत्री को बर्खास्त नहीं किया गया तो वे विधानसभा सत्र नहीं चलने देंगे।

इस बीच, भाजपा नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी इस घोटाले में शामिल हैं और धनराशि तेलंगाना और तमिलनाडु स्थानांतरित की गई।