धोनी के दस्तानों पर बना चिन्ह पैरा-एसएफ रेजीमेंट का बैज नहीं : इंडियन आर्मी

महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) के विकेटकीपिंग ग्लव्स इन दिनों काफी सुर्खिया बटोर रहे है। धोनी के दस्तानों पर 'बलिदान बैज' के निशान ने वर्ल्ड कप टूर्नामेंट को नया मोड़ दे दिया, जिससे विवाद ने जन्म ले लिया है। एक तरफ धोनी हैं कि वह अपने ग्लव्स बदलने को तैयार नहीं हैं, जबकि आईसीसी (ICC) अपने रुख से पलटना नहीं चाह रही है। ऐसे में 'धोनी-आईसीसी' प्रकरण मौजूदा वर्ल्ड कप का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। बीसीसीआई कह रही है कि उन्होंने आईसीसी से इसकी इजाजत मांगी है। दूसरी तरफ इंडियन आर्मी धोनी के ग्लव्स पर लगे इस निशान को बलिदान बैज नहीं मानती। इंडियन आर्मी के सूत्रों के मुताबिक यह स्पेशल फोर्सेज का प्रतीक चिह्न है जो मरून रंग में होता है और इसे हिंदी में लिखा जाता है। यह हमेशा छाती पर पहना जाता है। धोनी के दस्ताने पर निशान पैरा स्पेशल फोर्सेज का प्रतीक चिह्न है।

सेना मुख्यालय‌ के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने एबीपी न्यूज को बताया कि पैरा-एसएफ (पैराशूट-स्पेशल फोर्सेज़) रेजीमेंट का बैज (खंजर और उसके साथ दो विंग्स) हमेशा मैरून रंग का होता है। उसपर 'बलिदान' भी लिखा होता है और पैराएसएफ कमांडोज़ इस बैज को अपने सीने पर लगाते हैं। अधिकारी के मुताबिक, धोनी का चिंह किसी भी तरह से पैराएसएफ का नहीं है।

आपको बता दें कि बुधवार को साउथेम्प्टन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत के पहले मैच के दौरान धोनी को बलिदान बैज के साथ विकेटकीपिंग करते देखा गया था। आईसीसी ने धोनी को अपने दस्ताने से यह निशान हटाने को कहा था। लेकिन धोनी ने अपने ग्लव्स से इस निशान को हटाने से मना कर दिया। बीसीसीआई माही के समर्थन में उतरी है। बीसीसीआई के COA चीफ विनोद राय ने कहा, 'हम आईसीसी को एमएस धोनी को उनके दस्ताने पर 'बलिदान बैज' पहनने के लिए अनुमति लेने के लिए पहले ही चिट्ठी लिख चुके हैं।'

जानकारी के मुताबिक, पैरा-एसएफ का बैज एक कड़ी ट्रैनिंग के बाद ही मिल सकता है। पैराएसएफ में मात्र 25-30 प्रतिशत सैनिक ही ज्वाइन कर पाते हैं। बाकी सभी को उनकी यूनिट में भेज दिया जाता है। इसीलिए पैराएसएफ सबसे छोटी लेकिन सबसे 'एलीट' रेजीमेंट है भारतीय सेना की। पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक भी पैराएसएफ कमांड़ोज़ ने की थी।

बीसीसीआई के बाद खेल मंत्रालय ने भी धोनी का समर्थन किया था। खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, 'खेल निकायों के मामलों में सरकार हस्तक्षेप नहीं करती है, वे स्वायत्त हैं। लेकिन जब मुद्दा देश की भावनाओं से जुड़ा होता है, तो राष्ट्र के हित को ध्यान में रखना होता है। मैं बीसीसीआई से आईसीसी में इस मामले को उठाने का अनुरोध करना चाहूंगा।'

आईसीसी (ICC) का नियम क्या कहता है?

ICC ने नियम के तहत प्लेयर और टीम के अधिकारियों को आर्म बैंड या ड्रेस के जरिए कोई भी निजी संदेश देने की अनुमति नहीं है। किसी भी तरह के राजनीतिक, धार्मिक या नस्लीय संदेश या लोगो की इजाजत नहीं है। आईसीसी के मुताबिक ग्लव्स पर सिर्फ मैन्युफैक्चरर के 2 लोगो की इजाजत है। इसके अलावा कोई दूसरा लोगो नहीं।

ICC भी नहीं बदलेगा रुख


अब ICC के सूत्रों ने कहा कि नियमों के अनुसार अपील की कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन BCCI के पास ICC को पत्र लिखने का अधिकार है। इस मामले को तकनीकी समिति को सौंपा जाएगा। जिसमें जेफ एल्डर्स, डेविड रिचर्डसन, कुमार संगकारा, हर्षा भोगले और स्टीव एलवर्दी शामिल हैं, लेकिन यह बहुत संभावना नहीं है कि वे अपना रुख बदल देंगे।